डिजिटल कर्ज देने वाले प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं से अब ज्यादा ब्याज नहीं ले पाएंगे। न ही अनैतिक तरीके से कर्ज वसूली कर सकेंगे। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संशोधित दिशा-निर्देश बृहस्पतिवार से लागू हो जाएंगे।
यह व्यवस्था 2 सितंबर से पहले लिए गए डिजिटल कर्ज पर ही लागू होगी।
आरबीआई ने वित्तीय संस्थानों को व्यवस्था के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया था। नए मानकों के तहत कर्ज वितरण एवं वसूली की पूरी प्रक्रिया कर्जदार के बैंक खातों और विनियमित संस्थानों के बीच ही संचालित होगी। कर्ज सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) के किसी भी पूल खाते का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। कर्ज देने की प्रक्रिया में देय शुल्क व अधिभार का भुगतान सीधे बैंक व एनबीएफसी करेंगे, इसे कर्जदार से नहीं वसूला जाएगा।
खराब व्यवहार की शिकायतें
ऑनलाइन कर्ज देने वाले मंचों के खिलाफ अधिक ब्याज और कर्ज वसूली के लिए उपभोक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार की कई शिकायतें मिलने पर आरबीआई ने अगस्त में पहली बार दिशा-निर्देश जारी किए थे। निर्देश नए ग्राहकों के लिए भी लागू होंगे।
गोपनीयता में मिलेगी मदद
एंड्रोमीडा लोन्स के कार्यकारी चेयरमैन वी स्वामीनाथन ने कहा, कोरोना के बाद डिजिटल कर्ज लेने की दर बढ़ने से यह व्यवस्था जरूरी थी। नए मानक से उपभोक्ताओं व वित्तीय संस्थाओं के बीच साझा डाटा और निजी जानकारी की गोपनीयता रखने में मदद मिलेगी।