27 साल बाद होगा खंडग्रास सूर्यग्रहण

दिवाली के अगले दिन शाम को साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर का खंड सूर्य ग्रहण लगेगा। जिसका असर भारत में भी देखने को मिलेगा। सूर्य ग्रहण दिवाली के ठीक अगले दिन यानी 25 अक्टूबर को लगने जा रहा है। इतिहास के पन्नों को पलटकर अगर देखा जाए तो अब से ठीक 27 साल पहले भी कुछ इसी तरह की घटना घटित हुई थी। यानी वर्ष 1995 में भी ठीक दिवाली से अगले दिन सूर्यग्रहण लगा था। उस समय भी ग्रहों का विचित्र संयोग था। जिनका प्रभाव व्यापक रूप से भारत सहित दुनिया के विभिन्न देशों पर देखा गया था। आइए जानते हैं 25 अक्टूबर को लगने जा रहा सूर्ग्रहण देश दुनिया के साथ साथ राशियों को किस तरह से प्रभावित करेगा। दिवाली के अगले दिन सूर्यग्रहण लगने जा रहे सूर्यग्रहण के चलते इस बार गोवर्धन पूजा भी दिवाली के तीन दिन बाद की जाएगी। ठीक ऐसी ही 27 वर्ष पहले भी हुआ था। वर्ष 1995 में 23 अक्टूबर को दिवाली का पर्व था और 24 अक्टूबर को सूर्यग्रहण लगा था। इस साल 24 अक्टूबर को दिवाली है और 25 अक्टूबर को ग्रहण। वर्ष 1995 में भी तुला राशि में सूर्यग्रहण लगा था और इस वर्ष भी तुला राशि में ही सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। वर्ष 1995 में जब सूर्यग्रहण लगा था। तब तुला राशि में चार ग्रह एक साथ थे। इस समय तुला राशि में राहु, सूर्य, शुक्र और चंद्रमा था। 25 अक्टूबर को लगने जा रहे सूर्यग्रहण के दौरान भी तुला राशि में राहु, सूर्य, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे। इसके अलावा 27 साल पहले शनि अपनी राशि कुंभ में विराजमान थे और इस बार भी शनि अपनी ही राशि मकर में रहेंगे। इसके अलावा वर्ष 1995 में बुध कन्या राशि में थे और इस बार भी बुध कन्या राशि में ही विराजमान हैं। सूर्य ग्रहण से इन राशियों को होगा लाभ कर्क सिंह धनु सूर्य ग्रहण से इन राशियों को होगा नुकसान वृषभ कन्या तुला वृश्चिक इस साल सूर्यग्रहण का देश और दुनिया पर असर सूर्यग्रहण के कारण उज्जैन और उसके आसपास के क्षेत्रों पर अधिक दिखाई देगा। इस दौरान राजस्थान, कच्छ और गुजरात के व्यापारी वर्ग के लोगों को कुछ कष्ट हो सकता है। इतना ही नहीं सूर्यग्रहण के बाद सरकारी एजेंसियों की कार्यवाही व्यापारी वर्ग के लोगों को कुछ कष्ट प्रदान कर सकती है। साथ ही खाद्य पदार्थ जैसा गेहूं, सरसों आदि के दामों में तेजी देखी जा सकती है। इसके अलावा सूर्यग्रहण का असर यूरोप, मध्य पूर्व एशिया और उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया और उत्तरी महासागर में सबसे ज्यादा असर दिखाई देगा। कहा जा रहा है कि यह सूर्यग्रहण यूरोपीय देशों के लिए अच्छा नहीं रहने वाला है।

27 साल बाद होगा खंडग्रास सूर्यग्रहण