*लोक कला से जुड़ने से हमारी संस्कृति सुरक्षित*
राजस्थान ललित कला अकादमी जयपुर एवं कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग राजस्थान की और से डिजाइन इकोल कॉलेज के प्रांगण में आयोजित ग्रीष्मकालीन शिविर सोमवार को शुरू हुआ। मुख्य अतिथि आरएएस ज्योति ककवानी ने उद्घाटन सत्र में कहा कि ललित कला अकादमी द्वारा अजमेर में शिविर का आयोजन एक अनूठी पहल है, लोक कला से जुड़े शिविर के माध्यम से बच्चे कुछ दिन मोबाइल से दूर रह कर अपनी कला कौशल का विकास करेंगे और संस्कृति को भी जानेंगे।
ललित कला अकादमी के प्रदर्शनी अध्यक्ष विनय शर्मा ने कहा कि शिविर के माध्यम से उस अतीत को बचाने का अवसर मिलेगा जिसे हम खोते जा रहे है। लोक कला प्राचीन काल में भी महत्वपूर्ण थी और आज भी उनकी प्रासंगिकता है, यह हमारे जीवन को खुशहाल और रोचक बनाती है।
प्राचार्य अमित माथुर ने कहा कि बचपन में घर के आंगन में तीज त्यौहारो पर दादी नानी द्वारा मांडणा बनते देखते थे और आज युवा विद्यार्थियों को इसका प्रशिक्षण प्राप्त होना हमारी संस्कृति को जीवित रखने का एक सुंदर प्रयास है। अकादमी के राजकुमार जैन ने शिविर का परिचय दिया।
कलाकार प्रियंका सेठी, इंदु खंडेलवाल, मनोज प्रजापति, मीनाक्षी मंगल, सुमन वैष्णव, निलेश, ऋषभ प्रताप सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया वह स्मृति चिन्ह भेंट किए। कार्यक्रम का संचालन शिविर संयोजक दीपक शर्मा ने किया और मीडिया प्रभारी अंबिका हेडा ने आभार प्रदर्शित किया।
*विद्यार्थियों में जाना मांडने का इतिहास*
प्रशिक्षक संजय कुमार सेठी ने राजस्थान की प्रसिद्ध लोक कला मांडना के इतिहास के बारे में बताते हुए जानकारी दी कि इनका उद्गम गुफा कालीन सभ्यता के साथ ही हो गया था इनका स्वर्णिम दौर रामायण एवं महाभारत काल में रहा जब ऋषि मुनियों द्वारा यज्ञ वेदियों पर इनका चित्रांकन करवाया जाता था। वर्तमान में राजस्थान में यह लोक कला विलुप्ती के कगार पर है, इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।
प्रथम दिवस राजस्थानी मांडणा में भरती एवं चिरण किस प्रकार भरी जाती है साथ ही मुख्य आकृति में चोखाना, शकरपारा व लड्डू भरती भरना सिखाया। इसके उपरांत चौक का मंडाना क्यों बनाया जाता है कहां बनाया जाता है और किस प्रकार से उसका अंकन होता है यह बताया गया ।
*मंडाना से सुसज्जित परिंडे बनाए जाएंगे*
शिविर के दौरान मंगलवार की पक्षियों के परिंडे पर नवोदित कलाकारों द्वारा मांडणा का चित्रांकन कर तैयार किया जाएगा और पक्षियों के पानी पीने के लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर रखा जाएगा।