बरसाती पानी की निकासी के लिए जरूरी है दीर्घकालीन योजनाओं की आवश्यकता
बरसाती पानी की निकासी के लिए जरूरी है दीर्घकालीन योजनाओं की आवश्यकता
विजन अजमेर में पानी निकासी पर हुआ मंथन: सकारात्मक विषयों पर हुई चर्चा
अजमेर 01 सितम्बर। विजन अजमेर में पानी निकासी पर रविवार को स्वामी कॉम्पलेक्स के रसोई बैंकवेट हॉल में संगोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें शहर के बरसाती पानी के निकासी पर होने वाली परेशानियों पर विभिन्न विशेषज्ञों ने एक मत से राय व्यक्त की व समय रहते दीर्घकालीन योजनाएं बनाकर, इस समस्या से निपटा जाए। अजमेर अरावली पहाड़ियों की तलहटी में बसा शहर होने से पानी की निकासी पर जल संग्रहण स्थलों अवैध निर्माण होना व शहर के पुराने राजस्व व नगरीय रिकार्ड, उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना करने पर बरसाती पानी का समाधान किया जा सकता है।
संगोष्ठी की चर्चा करते हुए जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत आनंद त्रिपाठी ने बताया कि शहर के बारिश से होने वाली जल निकासी समस्या को दूर करने के लिए 1980 में 8.7 करोड़ की एक योजना बनाई गई थी, जिसमें निचली बस्तियों को बचाने के सुझाव सहित आनासागर एस्केप चैनल की मरम्मत एवं अन्य कार्य शामिल किये थे, लेकिन समय पर यह योजना मूर्त रूप से आने वाली समस्या का निदान हो नहीं सका।
आरएसएचए के प्रोजेक्ट मैनेजर केदार शर्मा ने बताया कि 8 से 9 किमी लंबाई एक्सकैप चैनल की मरम्मत के साथ-साथ भराव क्षमता को बढ़ाना जरूरी है, इसके साथ ही रेल्वे प्रशासन के साथ व्यापक समन्वय बनाते हुए योजना बनानी चाहिए, साथ ही खानपुरा स्थित अंतिम छोर पर पानी के भराव क्षेत्र को बढ़ाना जरूरी है, इसी क्रम में डॉ. नरेश चेतन भम्बानी ने कहा कि जब जनता में जागरूकता नहीं आयेगी तब इस समस्या का समाधान नहीं उन्होनें नालों को दिशा परिवर्तन एवं साफ सफाई करने पर बल दिया।
सिचांई विभाग के सेवानिवृत सहायक अभियंता सुरेश केवलरमानी ने कहा कि शहर में अतिक्रमण एवं तालाबों के अपने मूल स्वरूप खोने से पानी भरने की समस्या अपना विकराल रूप लेती है, इसी क्रम में सेवानिवृत अधिशाषी अभियंता जी.डी. वृदनानी ने बताया कि ड्रेनेज सिस्टम को सही करने तथा रूकावटों को दूर करना जरूरी है। वहीं सुनील कुमार पारीक ने भी सरकार द्वारा बजट आवंटित करने पर जोर दिया।
चिंतक व लेखक गिरधर तेजवानी ने कहां कि विभागों में कई योजनाएं बनाई जाती है परन्तु मगर राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में अमल नहीं होने की वजह से फाइले ठण्डे बस्ते में चली जाती है। आवश्यकता है विजन अजमेर सरकार, शासन, प्रशासन के बीच में सेतू का कार्य करेगा व अमली जामा पहनाने का कार्य करेगा।
बार एसोसिएशन अध्यक्ष चन्द्रभान सिंह राठौड ने बताया कि प्रकृति के वास्तविक रूप से छेड़छाड़ करने से ही इस तरह की समस्याए उत्पन्न होती है, उन्होनें आनासागर के ओवरफ्लो के बाद आने वाली समस्याओं के बारें चिंता व्यक्त करते हुए उनसे निजात पानेे के लिए अनेक सुझाव रखे व प्रकाश मीणा के अनुसार पानी का भराव उसका उचित निकास नहीं होना मानव निर्मित समस्या है। विनीत लोहिया ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पानी के भराव क्षेत्र से छेड़छाड़ करने से इस तरह की समया होती है, पालबिचला की बड़ी झील पर हुआ अतिक्रमण इसका जिसका जीता जागता उदाहरण है, उन्होनें शहर के नालों की नियमित रखरखाव का का सुझाव दिया। अमर सिंह राठौड़ प्राकृतिक स्त्रोत पर अतिक्रमों को हटाना चाहिए व पुराने तालाबों को अस्तिव में लाना चाहिए।
हरीकिशन टेकचंदानी के अनुसार पूर्व में नालों की सफाई के ठेकेदारों का भुगतान तब होता था, जब नालों के तल तक की सफाई करते हुए मलबे को दूर ले जाकर उसका निस्तारण करना जरूरी होता था।
समन्वयक कंवल प्रकाश किशनानी ने कहां कि आज जितने भी सुझाव आए है इन्हे प्रजेन्टेशन बनाकर सरकार व प्रशासन के सामने प्रस्तुत करेंगा व मुख्यमंत्री व सबंधित मंत्रीयों को से मिलकर इसके लिए बजट आवंटित कराने में समन्वय की भूमिका अदा करेंगा। आने वाले समय में पहाड़ियों के पानी को एनिकेट बनाकर संग्रहित किया जाए व एनिकट के उपर सड़क बनाकर रिंग रोड के उपयोग में भी लिया जा सकता है।
इस अवसर प्रकाश जैन, उमेश कुमार चौरसिया, दुर्गा प्रसाद, जय प्रकाश मंघाणी, डॉ. भरत छबलानी, कमल किशोर गर्ग, जयकिशन लख्यानी, सुभाष खत्री, जयेश कुमार गांधी, पुरषोत्तम तेजवानी, हरीराम कोडवानी, उत्तम गुरबक्षानी, बलवीर सिंह शेखावत, अरूण कुमार शर्मा आदि ने अपने सुझाव रखें। संगोष्ठी का संचालन माधवी स्टीफन ने किया। आभार दिलीप पारीक ने किया।
वीनित लोहिया
9549860966