गुरु नानक सांस्कृतिक एकता के दिव्य सूत्रधार

गुरु नानक सांस्कृतिक एकता के दिव्य सूत्रधार

आप सभी को गुरु नानक जयंती के प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं..
भारत अन्य अनेक देशों की तरह विशेष प्रकार की ऐतिहासिक और राजनीतिक परिस्थितियों से नहीं जन्मा, और न ही यह किसी राजपरिवार या समुदाय की राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतिफल है। यह एक नैसर्गिक सांस्कृतिक-भौगोलिक इकाई है, अतः यह प्राकृतिक राष्ट्र है। भारत में समय समय पर ऐसी विभूतियों ने जन्म लिया है, जिनके वचनों तथा जीवन कर्मों के माध्यम से हमारे समाज को और वृहत्तर मानवता को अपने युग के श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों का ज्ञान हुआ है। ऐसी विभूतियों में प्रथम सिख गुरु बाबा नानक का नाम बहुत ऊँचा है, जिन्होंने 550 वर्ष पूर्व अवतार लिया, पर जिनकी शिक्षाएं आज के समय में भी समाज के लिए प्रासंगिक हैं, और आज के समय में अपनाये जाने योग्य हैं। नानक जी का दर्शन भारत के मूल चिति के अनुरूप विकसित हुआ है।
सिखों के पहले गुरु, नानक देव जी की जयंती आज 8 नवंबर को मनाई जा रही है। बता दे प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के मौके पर, गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। यह 10 सिख गुरुओं में से पहले गुरु नानक के जन्म का प्रतीक है. यह एक पवित्र त्योहार और उत्सव है। हर साल गुरु नानक देव के जन्मदिन की तारीख हिंदू कैलेंडर के अनुसार बदल जाती है, क्योंकि यह कार्तिक महीने में आती है और इस महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार गुरु नानक का जन्म 15 अप्रैल 1469 उन्सीत्तर को हुआ था. उनका जन्मस्थान अब कहे जाने वाले पाकिस्तान में है। हम आपको इस त्योहार के बारे में और देश में इसे कैस मनाया जाता है, इसके बारे में और बताते हैं. 
क्यों मनाई जाती है गुरु नानक जयंती?
गुरु नानक जयंती हर साल इसलिए मनाई जाती है क्योंकि गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक हैं। सिख समुदाय द्वारा उनकी पूजा की जाती है, और उनका जन्म उनके महान जीवन का उत्सव है. सिख समुदाय सभी 10 सिख गुरुओं की जयंती मनाता है, लेकिन यह बड़े पैमाने पर होती है, क्योंकि वह पहले गुरु हैं और इस धर्म के संस्थापक भी हैं. न केवल भारत में, दुनिया के अन्य हिस्सों में भी समारोह आयोजित किए जाते हैं। जहां सिख समुदाय रहता है।
कैसे मनाते हैं गुरु नानक जयंती?
गुरुपर्व उत्सव कम से कम दो दिन पहले सिख समुदाय के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ के साथ शुरू होता है. इसे अखंड पाठ कहा जाता है, जिसे बिना रुके 48 घंटे पढ़ा जाता है। अगले दिन, एक जुलूस का आयोजन किया जाता है जिसका नेतृत्व पांच प्यारे करते हैं। जहां वे सिख ध्वज और गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में ले जाते हैं. उत्सव के इस भाग को नगरकीर्तन कहा जाता है. इस दौरान भजन गाते हुए जुलूस सड़कों पर निकाला जाता है. कई जगहों पर, एक बैंड भी है जो साथ चलता है और मार्शल आर्ट करता है। और पारंपरिक सिख हथियारों का उपयोग करके अपनी तलवारबाजी का प्रदर्शन करता है. ये जुलूस अनिवार्य रूप से लोगों को गुरु नानक और सिख समुदाय में उनके योगदान के बारे में अधिक जागरूक करने के लिए होता है
सिख समुदाय के लोग गुरु नानक पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन लोग भजन-कीर्तन करते हैं और वाहे गुरु का जाप करते हैं. सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी ने एक ओंकार का संदेश दिया, जिसका अर्थ है ईश्वर एक है. आइए जानते हैं नानक देव जी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें.
गुरु नानक देव ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी. वे रूढ़िवादिता, धार्मिक आडंबर और अंधविश्वास के बिलकुल खिलाफ थे. बचपन से ही उनका स्वभाव बेहद गंभीर था, और वे इन सब चीजों को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे. गुरु नानक देव एक सच्चे योगी, गृहस्थ, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक थे. गुरु नानक देव जी ने हमेशा जात-पात का विरोध किया है. उन्होंने अपने समय में लंगर की शुरुआत की. जिसका मकसद था छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब सब एक साथ बैठकर भोजन प्राप्त कर सकें। किसी के मन में किसी भी व्यक्ति के लिए भेदभाव ना हो. गुरु नानक देव ने मूर्ति पूजन का विरोध किया, उनका मानना था कि, ईश्वर सर्वशक्तिमान है. वही सर्वोपरि हैं, वही सत्य हैं. उन्होंने निर्गुण उपासना का प्रचार-प्रसार किया. गुरु नानक देव ने देश में कई जगहों की यात्रा कर  समाज को जागरूक करने का प्रयास किया।
दर्शकों गुरु नानक जी का 551वां प्रकाश पर्व इस बार विशेष इसलिए भी है क्योंकि, नानक जी की निर्वाण स्थली करतारपुर साहेब (जो पाकिस्तान में पड़ती है) के दर्शन करने से हमारे देश के सिख धर्म के लोग वंचित रहते थे, पर भारत और पाकिस्तान सरकारों के संयुक्त प्रयास के चलते इस बार वहां के दर्शन भी कर पा रहे हैं। इस अवसर पर यह पहल  करनी चाहिए कि गुरु नानक जी कि शिक्षाओं और उनके द्वारा डाली गयी परम्पराओं को स्कूली स्तर से ही हमारे भविष्य की पीढ़ियों को पढ़ाया जाये, तथा उनके द्वारा शुरू की गयी परम्पराओं को नए सिरे से बढ़ावा दिया जाये, ताकि हमारे समाज में भी उच्चतर मानवीय मूल्यों का विकास हो सके। गुरु नानक देव के जीवन सन्देश से हम ऐसे विचार ग्रहण करते हैं जो हमें वर्तमान युग की चुनौतियों जैसे पर्यावरणीय विघटन, सामाजिक एकता को तोड़ने के प्रयास, संसाधनों का दुरूपयोग आदि का सफलता पूर्वक सामना करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे। हमें उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए, और उनको अपने सामाजिक जीवन पद्धति का हिस्सा बनाना चाहिए।