राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि आने वाले बजट में गहलोत सरकार नए जिलों की घोषणा करेगी.
ऐसा इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि सरकार ने नए जिले गठन करने के लिए रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. प्रदेश के 24 जिलों से 60 शहर जिले की कतार में हैं. ऐसे में जिला बनाने की मांग भी तेज हो गई है. जिले की मांग को लेकर कहीं विधायक विधानसभा में नंगे पैर जा रहे हैं, तो कहीं विधायक अपना पद छोड़ने की बात कह रहे है. ऐसे में सभी जिला बनाने को लेकर अपना-अपना समीकरण बैठाने में लगे हैं.
प्रदेश में नए जिलों की घोषणा होनी है, ऐसे में जैसे-जैसे रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट आने का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे जिले बनने की मांग भी जोर-शोर से चल रही है. जयपुर राजधानी की बात करें तो कोटपूतली सांभरलेक-फुलेरा और दूदू जिला बनने की मांग कर रहा है. ऐसे में अगर सरकार कोटपूतली और सांभरलेक फुलेरा को जिला बनाकर जयपुर जिले का भार कम कर सकती है. ऐसे में आजादी के समय से चली आ रही सांभरलेक-फुलेरा को जिला बनाने की मांग भी पूरी होगी. वहीं जल्दी ही हजारों की संख्या में लोग मुख्यमंत्री से मिलकर सांभरलेक-फुलेरा को जिला बनाने की मांग को लेकर प्रतिवेदन सौंपेंगे.
नए जिले बनाने के लिए भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक और जनसंख्या, जिला मुख्यालय से दूरी, रेल सुविधा देखी जाती है, ये मापदंड सांभरलेक पूरे करता है. सांभरलेक सामरिक और भौगोलिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. सांभरलेक और फुलेरा की आबादी 60 हजार है, बाकी तहसीलों की आबादी मिला दें, तो यह 17 लाख से अधिक है.
साथ ही सबसे पुराना और सबसे बड़ा उपखंड होने के चलते इसमें पांच नगरपालिका और तीन पंचायत समितियां आती है. साथ ही यहां दो एडीजे कोर्ट एसीएम कोर्ट सहित अन्य कोर्ट भी स्थापित है. साथ ही लगभग सभी सरकारी कार्यालय भी स्थापित है, जो नया जिला बनाने के लिए काफी है. इससे पर्यटन भी बढ़ेगा, साथ ही नमक से जुड़े उद्योग स्थापित होंगे. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और व्यापार बढ़ेगा और सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा.
सांभरलेक में स्थित विश्व प्रसिद्ध नमक की झील 3 जिलों में बंटी है. झील का इलाका नागौर, अजमेर और जयपुर जिले में आता है. 3 जिलों के कलेक्टरों के आदेश लागू होते हैं, इससे प्रशासनिक कार्यों में देरी होती है और समय पर नमक उत्पादन या अतिक्रमण हटाने में विरोधाभास होता है. यदि सांभरलेक जिला बनता है तो यह समस्या भी दूर हो जाएगी, जिससे सांभर झील सुरक्षित और संरक्षित होगी.
वहीं साल्ट टूरिज्म को लेकर भी पर्यटन क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा. साथ ही सांभर लेक धार्मिक नगरी होने के चलते यहां पौराणिक तीर्थ देवयानी सरोवर, मां शाकंभरी मन्दिर, दादू दयाल महाराज का मंदिर और ख्वाजा हुसमुद्दीन चिश्ती जिगर सोखता की दरगाह भी स्थित है, जहां हर साल लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. ऐसे में लोगों की आस है कि जल्द ही सरकार सांभर लेक को जिला बनाकर नए आयाम स्थापित करेगी.
सांभरलेक को जिला बनाने की मांग आजादी के बाद से ही लगातार चली आ रही है. क्योंकि रियासत काल में भी सांभरलेक जोधपुर और जयपुर की शामलात राजधानी हुआ करता था. उस समय भी यहां राजा का दरबार लगता था, जिस कचहरी में आज भी सरकारी स्कूल संचालित है. जिला बनाने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन चलाए जा रहे हैं. हर बार सरकार के समक्ष जिला बनाने को लेकर प्रतिवेदन सौंपा जा रहा है. ऐसे में इस बार प्रदेश के मुख्यमंत्री नए जिलों को लेकर घोषणा करने में है. ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि वर्षों पुरानी सांभर लेक की मांग पूरी कर सरकार सांभरलेक के नमक का कर्ज अदा करेगी.
नए जिला बनाने को लेकर देखना होगा कि सरकार सत्तापक्ष के विधायकों को खुश करने के लिए जिले बनाती है या मापदंडों पर खरे उतरने वाले क्षेत्र जो लंबे समय से जिला बनाने की मांग कर रहे हैं. क्योंकि राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है, ऐसे में सरकार को चुनावी फायदा नुकसान देखते हुए जिलों की घोषणा करनी होगी.