क्यों करते हैं छठ की पूजा
लोगों में जिज्ञासा रही है कि भगवान सूर्य की उपासना के महापर्व छठ में सूर्य के साथ जिन छठी मैया की अथाह शक्तियों के बारे में बताए जाते हैं, वे कौन हैं ?
ज्यादातर लोग इन्हें शास्त्र की नहीं, लोगो की दिमागी उपज मानते हैं। लेकिन हमारे पुराणों में यत्र-तत्र इन देवी के संकेत जरूर खोजे जा सकते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य और षष्ठी अथवा छठी का संबंध भाई और बहन का है।
षष्ठी एक मातृका शक्ति हैं जिनकी पहली पूजा स्वयं सूर्य ने की थी। 'मार्कण्डेय पुराण' के अनुसार प्रकृति ने अपनी अथाह शक्तियों को कई अंशों में विभाजित कर रखा है। प्रकृति के छठे अंश को 'देवसेना' कहा गया है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी भी है।
देवसेना या षष्ठी श्रेष्ठ मातृका और समस्त लोकों के बालक-बालिकाओं की रक्षिका हैं। इनका एक नाम कात्यायनी भी है जिनकी पूजा नवरात्रि की षष्ठी तिथि को होती रही है।
पुराणों में निःसंतान राजा प्रियंवद द्वारा इन्हीं देवी षष्ठी का व्रत करने की कथा है। छठी षष्ठी का अपभ्रंश हो सकता है। आज भी छठव्रती छठी मैया से संतानों के लंबे जीवन, आरोग्य और सुख-समृद्धि का वरदान मांगते हैं। शिशु के जन्म के छह दिनों बाद इन्हीं षष्ठी या छठी देवी की पूजा का आयोजन होता है जिसे बोलचाल की भाषा में छठिहार कहते हैं।
छठिहार भारतवर्ष के सभी सनातन धर्म के मानने वाले मनाते हैं इसलिए ऐसा नहीं कह सकते हैं की छठ सिर्फ बिहार में ही होता है ।
छठी मैया की एक आध्यात्मिक पृष्ठभूमि भी हो सकती है। अध्यात्म कहता है कि सूर्य के सात घोड़ों पर सवार सात किरणों का मानव जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। सूर्य की छठी किरण को आरोग्य और भक्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाला माना गया है। यह संभव है कि सूर्य की इस छठी किरण का प्रवेश अध्यात्म से लोकजीवन में छठी मैया के रूप में हुआ हो।
छठ और सूर्य दोनो भाई बहन हैं इस तरह आप अनुभव कर सकते हैं भाई बहन के प्रेम को भी जो की समाज में संदेश देता है हम सब अपने भाई बहन के साथ एक अच्छा रिश्ता रखें।
आप सबको लोकआस्था के महापर्व छठ की आज रविवार की संध्या रवि को अर्ध की मंगलकामनाएं !