इस संसार में व्यक्ति को वात्सल्य भाव से रहना चाहिये तभी उसका जीवन जीना सार्थक है -108 उपाध्याय वृषभानंद जी मुनिराज

इस संसार में व्यक्ति को वात्सल्य भाव से रहना चाहिये तभी उसका जीवन जीना सार्थक है -108 उपाध्याय वृषभानंद जी मुनिराज

 - परम पूज्य आचार्य श्री 108 वसुनंदी जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य श्री 108 उपाध्याय वृषभानन्द जी मुनिराज ससंघ श्री जिनशासन तीर्थक्षेत्र जैन नगर नाकामदार अजमेर में विराजमान है।
यह जानकारी देते हुए महामंत्री मनोज जैन कोलानायक ने बताया कि आज की धर्मसभा में मंगलाचरण लोकेष ढिलवारी मंत्री केसरंगज जैन मंदिर एवं श्रीमती डिम्पल महतिया के द्वारा किया गया एवं आचार्य विद्यानन्द जी एवं वसुनन्दी जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं अनावरण का सौभाग्य पूर्ण्याजक रमेषचन्द कमल कुमार नायक परिवार के द्वारा किया गया। सांय आनन्द यात्रा में पुरस्कार वितरण में सहयोगकर्ता कपूरचंद सुषील कुमार जैन पॉण्डया परिवार रहे।
इस अवसर पर श्री 108 उपाध्यक्ष वृषभानन्द जी मुनिराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस संसार में सभी प्राणियों को हिल मिल कर रहना चाहिये जिस प्रकार नदी और नाव का संजोग है। यदि नदी में बाढ आये तो नाव चल नहीं सकती नदी का शांत रहना नाव को चलने में सहायक है उसी प्रकार इस संसार में प्राणी को वात्सल्य भाव से रहना चाहिये। यदि वह जीवन में क्रोध करेगा तो वह इस संसार से मुक्त नहीं हो सकता है। मुनिराज ने कहा कि व्यक्ति को क्रोध, मान, माया, लोभ का त्याग करना पड़ेगा तभी वह आत्मा से परमात्मा बन सकता है। इस संसार में सभी अकेले आये है एवं अकेले ही जायेगे। संसार एक मेला रूप में है जहॉं मुनष्य जन्म लेता है एवं सगे साथियों के साथ रहते हुये विरक्त भाव रखते हुए आत्मा को परमात्मा बना सकता है। लेकिन यदि वह इस संसार में उलझ कर रहेगा तो इस संसार को मेला समझ कर इसी मेें रहने में उसका आनन्द आयेगा पर वह अपना कल्याण नहीं कर सकता। यदि उसे अपना कल्याण करना है तो उसे स्व एवं पर का ज्ञान करना पड़ेगा तभी वह संसार से तिर सकता है।
इसी क्रम में सांय 6ः30 बजे आनन्द यात्रा सैकड़ो श्रृद्धालुओं की उपस्थित में धूमधाम से आयोजित की गई। इसमें मुनिराज द्वारा मार्मिक व आध्यात्मिक भजन गाये गये एवं श्रृद्धालुओे से प्रष्न पुछकर उनकी शंका का समाधान किया गया एवं इस अवसर पर विजेताओं को पुरस्कार वितरित किये गये।
इसी क्रम में कल दिनांक 24 मई शुक्रवार को प्रातः 6ः30 बजे अभिषेक शांतिधारा व शांतिविधान, प्रातः 8ः30 बजे श्री 108 उपाध्यक्ष वृषभानन्द जी मुनिराज के प्रवचन, प्रातः 9ः30 बजे आहरचर्या, दोपहर 3ः00 से 4ः30 बजे स्वाध्याय, सांय 5ः00 से 5ः30 बजे तक प्रतिकम्रण, सांय 6ः30 बजे आनन्द यात्रा व 7ः30 बजे आरती का कार्यक्रम श्री जिनषासन तीर्थ क्षेत्र जैन नगर नाका मदार अजमेर पर आयाजित किया जायेगा।