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क्या है "नॉन वेज दूध"? भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता क्यों फंसी इस मुद्दे पर?

 

भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते की चर्चा तेज़ है, लेकिन एक अनोखा मुद्दा इसमें बाधा बनकर खड़ा हो गया है — और वह है नॉन वेज दूध

पर दूध कैसे हो सकता है मांसाहारी?
हम भारतीयों के लिए दूध सिर्फ एक आहार नहीं, बल्कि एक आस्था है। हमारे घरों में दूध से बनी चीजें जैसे घी, मक्खन, और दही, पूजा-पाठ से लेकर रसोई तक हर जगह मौजूद रहती हैं। लेकिन अमेरिका में गायों को मांस, खून और हड्डियों से बने चारे खिलाने की अनुमति है, जिससे दूध को ‘नॉन वेज’ कहा जा रहा है।

2004 की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि अमेरिकी डेयरी फार्मों में गायों को ऐसे चारे दिए जाते हैं जिनमें सूअर, मुर्गी, मछली, घोड़े, यहां तक कि कुत्ते-बिल्ली के अंग भी हो सकते हैं। यही कारण है कि भारत इस दूध को स्वीकार करने में संकोच कर रहा है।

धार्मिक और सांस्कृतिक विरोध
भारत सरकार ने मांग की है कि अमेरिका से आयातित दूध को लेकर सख्त प्रमाणन हो, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि गायों को शाकाहारी आहार ही दिया गया है। अमेरिका इसे व्यापार में अनावश्यक बाधा मानता है, लेकिन भारत के लिए यह सिर्फ व्यापार का नहीं, संस्कृति और आस्था का सवाल है।

क्या है खतरा?
SBI रिसर्च की रिपोर्ट कहती है कि अगर भारत अमेरिकी डेयरी के लिए बाज़ार खोलता है, तो इसका असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा — अनुमानित 1.03 लाख करोड़ रुपये का सालाना नुकसान हो सकता है। साथ ही यह हमारी घरेलू डेयरी इंडस्ट्री, जो 8 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोज़गार देती है, के लिए गंभीर चुनौती बन जाएगा।