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श्रद्धा की राह बनी ‘संवेदना की पुलिया’, अंतिम यात्रा को मिला सम्मान

 

चूरू जिले के सुजानगढ़ क्षेत्र में भारी बारिश के बाद भोजलाई बास की गलियाँ तालाब में तब्दील हो गईं। कीचड़, गंदे पानी और दुर्गंध के बीच एक बुजुर्ग की अंतिम यात्रा का रास्ता अवरुद्ध था। ऐसे समय में जब रास्ता नहीं था, तब संवेदनाओं ने रास्ता बनाया।

पार्षद प्रतिनिधि कमल दाधीच ने बिना बजट, बिना टेंडर, सिर्फ मानवीय भावना के आधार पर एक अस्थाई पुलिया बनवा दी — वो भी अपने संसाधनों से। यही ‘संवेदना की पुलिया’ बुजुर्ग की अंतिम यात्रा को सम्मान के साथ श्मशान तक पहुंचाने का माध्यम बनी।

लोगों ने पहली बार देखा कि कीचड़ में धँसी शवयात्रा की जगह एक ऐसी राह थी, जिस पर श्रद्धा, सम्मान और सेवा की भावना थी। श्रावण मास में जब आस्था चरम पर होती है, तब यह पुल सिर्फ एक जुगाड़ नहीं, बल्कि एक समाज की करुणा और सामूहिक चेतना का प्रतीक बन गया।