
श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ अंतर्गत विजय कलापूर्ण सूरि जैन आराधना भवन पुष्कर रोड में साध्वी ज्योति दर्शना श्री जी महाराज ने श्राद्ध विधि ग्रंथ वाचन में फरमाया
- जीव तीन प्रकार के बतलाएं - भव्य जीव - जो जीव की मोक्ष में जाने की तीव्र इच्छा है एवं योग्यता है। अभव्य जीव - जो जीव कभी भी मोक्ष में नहीं जाने वाले और उनकी मोक्ष में जाने की इच्छा भी नहीं होती है। जाति भव्य जीव - जो जीव मोक्ष में जाने की योग्यता रखते हैं पर सामग्री उपयोग नहीं करने से नहीं जा सकते है। अच्छे व्यक्ति बनने के लिए स्व दोष दर्शन करना है एवं दूसरों के गुण दर्शन ही करना है।