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धरती पर वापसी के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को हो सकती हैं ये स्वास्थ्य समस्याएं: जानिए विस्तार से

 

लेखक: शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर विशेष रिपोर्ट

भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन बिताने के बाद आज, 15 जुलाई को धरती पर वापसी की है। 'ग्रेस' नामक स्पेस ड्रैगन यान सोमवार शाम करीब 4:45 बजे अंतरिक्ष स्टेशन से अनडॉक हुआ था, और यह यान मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर सफलतापूर्वक लैंड करेगा।

इस मिशन के दौरान उन्होंने लगभग 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें से 7 प्रयोग इसरो से जुड़े थे। शुभांशु अपने साथ 263 किलोग्राम वैज्ञानिक सामग्री लेकर लौट रहे हैं, जिससे भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों को अहम जानकारी और संसाधन मिलेंगे।

सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण तक: एक बड़ी चुनौती

शुरुआती कुछ दिन अंतरिक्ष के सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (Microgravity) वाले वातावरण में ढलने में शुभांशु और उनकी टीम को कठिनाई हुई। अब जब वे पृथ्वी पर लौट आए हैं, तो उनके शरीर को फिर से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में समायोजित होने में समय लगेगा। इस बदलाव का असर सिर्फ मानसिक नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहराई से पड़ता है।

लौटने के बाद संभावित स्वास्थ्य समस्याएं

1. ऑर्थोस्टेटिक इंटोलरेंस (Orthostatic Intolerance)

अंतरिक्ष में रहने के दौरान शुभांशु में इसके लक्षण देखे गए थे। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर खड़े होने पर रक्तचाप को नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाता है, जिससे चक्कर आना या बेहोशी की स्थिति हो सकती है।

2. मांसपेशियों का क्षय (Muscle Atrophy)

माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों पर भार नहीं पड़ता, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं। शुभांशु को आने वाले कई हफ्तों या महीनों तक कमजोरी, संतुलन में परेशानी और चलने में कठिनाई हो सकती है।

3. हड्डियों का घनत्व कम होना (Bone Density Loss)

अंतरिक्ष में समय बिताने से हड्डियों का घनत्व भी घटता है। यह स्थिति भविष्य में हड्डियों की कमजोरी या फ्रैक्चर जैसी समस्याओं को जन्म दे सकती है।

4. थकान और असंतुलन

पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में वापसी के बाद थकान, चक्कर आना, संतुलन न बन पाना जैसी समस्याएं आम हैं। शरीर को सामान्य गतिविधियों में लौटने में कई दिन लग सकते हैं।

क्या होगा रिहैबिलिटेशन में?

धरती पर वापसी के बाद शुभांशु और उनकी टीम को कम से कम 7 दिनों की अनिवार्य रिहैबिलिटेशन प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसमें शामिल हैं:

व्यापक मेडिकल परीक्षण, खासतौर पर हृदय और रक्तचाप संबंधी

फिजिकल थेरेपी: मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती के लिए

संतुलन और चाल में सुधार के अभ्यास

मानसिक और भावनात्मक स्थिति की भी निगरानी

अनुभवी नेतृत्व से मिला सहयोग

दल की कमांडर पैगी व्हिटसन, जो पहले भी अंतरिक्ष में कई मिशन कर चुकी हैं, ने बताया कि माइक्रोग्रैविटी से पृथ्वी पर लौटना एक बड़ी मानसिक और शारीरिक चुनौती होती है, लेकिन उचित देखभाल से इससे पार पाया जा सकता है।