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कन्नड़ सिनेमा की पहली सुपरस्टार बी. सरोजा देवी का निधन: एक युग का अंत

 

दक्षिण भारतीय सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री बी. सरोजा देवी के निधन की खबर ने पूरे फिल्म जगत को शोक में डुबो दिया है। सात दशकों तक फिल्मों में सक्रिय रहीं सरोजा देवी न केवल एक महान कलाकार थीं, बल्कि उन्होंने भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। कन्नड़ सिनेमा की पहली सुपरस्टार कही जाने वाली बी. सरोजा देवी ने कन्नड़, तमिल, तेलुगु और हिंदी फिल्मों में करीब 200 से अधिक फिल्मों में काम किया, जिनमें 161 फिल्में ऐसी थीं जहाँ वह लीड हीरोइन के रूप में नजर आईं — यह उपलब्धि आज भी अद्वितीय है।

🎬 अभिनय की शुरुआत और परिवार का समर्थन

7 जनवरी 1938 को तत्कालीन मैसूर राज्य (वर्तमान बेंगलुरु, कर्नाटक) में जन्मी बी. सरोजा देवी एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी थे और मां एक गृहिणी। परिवार ने उन्हें क्लासिकल डांस और संगीत की शिक्षा लेने के लिए प्रोत्साहित किया। केवल 13 वर्ष की उम्र में, एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में गाते समय निर्माता कृष्णमूर्ति की नजर उन पर पड़ी। यहीं से उनके फिल्मी सफर की शुरुआत हुई।

साल 1955 में कन्नड़ फिल्म 'महाकवि कालिदास' में उन्होंने एक सपोर्टिंग रोल निभाया, जिसने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में पहचान दिलाई। इसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

🌟 साउथ सिनेमा की चमकती सितारा

बी. सरोजा देवी ने अपने करियर में एम.जी. रामचंद्रन (MGR), एन.टी. रामाराव (NTR), जैमिनी गणेशन जैसे दिग्गज अभिनेताओं के साथ कई हिट फिल्में दीं। 1950 और 60 के दशक में वह दक्षिण भारतीय सिनेमा की सबसे व्यस्त और लोकप्रिय अभिनेत्री थीं। उनकी फिल्मों को दर्शकों ने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी खूब सराहा।

🎥 बॉलीवुड में भी मनवाया लोहा

सरोजा देवी ने हिंदी सिनेमा में भी अपनी खास जगह बनाई। 1959 की फिल्म 'पैगाम' में वह दिलीप कुमार के साथ नजर आईं। इसके बाद उन्होंने राजेंद्र कुमार, शम्मी कपूर, सुनील दत्त जैसे सुपरस्टार्स के साथ काम किया। हालांकि, फिल्म ‘नज़राना’ में उन्हें राज कपूर के साथ कास्ट किया गया था, लेकिन निर्देशक सी.वी. श्रीधर के साथ मतभेदों के चलते उनकी जगह वैजयंतीमाला को ले लिया गया।

💍 निजी जीवन और फिल्मों से जुड़ाव

बी. सरोजा देवी ने 1967 में इंजीनियर श्री हर्षा से विवाह किया। शादी के बाद भी उन्होंने फिल्मों से नाता नहीं तोड़ा और लगातार अभिनय करती रहीं। 2019 में उन्होंने कन्नड़ फिल्म ‘नटसर्वभूमा’ में कैमियो किया, जिसमें उन्होंने खुद का किरदार निभाया।

🏆 सम्मान और उपलब्धियाँ

उनकी कला और योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया:

पद्म श्री (1969)

पद्म भूषण (1992)

फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड – साउथ (1994)

भारत सरकार का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (2008)

🙏 बी. सरोजा देवी: एक प्रेरणा

बी. सरोजा देवी की विरासत सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं रही, उन्होंने अपने व्यक्तित्व, नारी सशक्तिकरण और कला के प्रति समर्पण से कई पीढ़ियों को प्रेरित किया। उनका जाना भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है।