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देवनारायण मंदिर तोड़े जाने से गुर्जर समाज में आक्रोश, सरकार पर उठे सवाल

 

उमरैण (राजस्थान): उमरैण क्षेत्र में स्थित भगवान देवनारायण के एक प्राचीन मंदिर को वन विभाग द्वारा हटाए जाने के बाद गुर्जर समाज में गहरा रोष व्याप्त हो गया है। समाज के प्रतिनिधियों ने इस कार्रवाई को धार्मिक आस्था पर सीधा आघात बताया है और मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है।

शनिवार शाम को हुई इस घटना के बाद रविवार को क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन और सरकार पर धार्मिक स्थलों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वन विभाग की यह कार्रवाई मनमानी और असंवैधानिक थी, जिसमें किसी भी प्रकार की पूर्व सूचना नहीं दी गई।

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, जिनका यह क्षेत्र विधानसभा क्षेत्र में आता है, भी मौके पर पहुंचे और प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उन्होंने राज्य सरकार पर मंदिरों को लेकर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा, "एक ओर सरकार मंदिरों के संरक्षण की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ऐसे पवित्र स्थलों को बिना सूचना के ध्वस्त कर रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।"

जूली ने यह भी कहा कि मंदिर की मरम्मत का कार्य चल रहा था, लेकिन वन विभाग ने उसे बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के तोड़ दिया। उन्होंने मांग की कि संबंधित अधिकारियों को निजी खर्चे से मंदिर का पुनर्निर्माण कराना चाहिए, अन्यथा समाज बड़ा आंदोलन करेगा।

स्थानीय समाजसेवी भविंदर पटेल ने भी घटना की तीव्र निंदा करते हुए इसे आस्था पर हमला बताया और सरकार पर विश्वासघात का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि समाज एकजुट होकर इस मुद्दे पर रणनीति बना रहा है और यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो आंदोलन को व्यापक रूप दिया जाएगा।

प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि ऐसी घटनाओं पर समय रहते रोक नहीं लगी, तो भविष्य में आस्था से जुड़े स्थलों पर और भी हमले हो सकते हैं। उन्होंने वन विभाग की कार्रवाई को मनमाना बताते हुए त्वरित न्याय और पुनर्निर्माण की मांग की है।