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सुप्रीम कोर्ट करेगा कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई; आरएसएस और प्रधानमंत्री मोदी पर बनाए थे विवादित कार्टून

 

नई दिल्ली/इंदौर — सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। यह याचिका उस मामले से जुड़ी है जिसमें मालवीय पर आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित कार्टून सोशल मीडिया पर साझा करने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची शामिल हैं, इस मामले की सुनवाई 14 जुलाई को करेगी।

इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 9 जुलाई को मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने यह माना कि कार्टून की सामग्री अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं को लांघती है और मामले में पुलिस पूछताछ जरूरी है। याचिका को न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने खारिज किया।

मालवीय के वकील वृंदा ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि यह मामला एक व्यंग्यात्मक कार्टून से जुड़ा है जिसे वर्ष 2021 में कोविड काल के दौरान साझा किया गया था। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने अर्नेश कुमार बनाम बिहार तथा इमरान प्रतापगढ़ी बनाम उत्तर प्रदेश जैसे मामलों में स्थापित सिद्धांतों को नजरअंदाज किया है, जिनमें व्यक्ति की स्वतंत्रता और गिरफ्तारी के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह अपराध भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत आता है, जिसमें अधिकतम तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है।

क्या है मामला?

मालवीय के विरुद्ध शिकायत अधिवक्ता और आरएसएस स्वयंसेवक विनय जोशी द्वारा दर्ज कराई गई थी। शिकायत के अनुसार, उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट देखी जिसमें आरएसएस को पारंपरिक वर्दी में मानव रूप में दिखाया गया था, जो प्रधानमंत्री मोदी के सामने झुका हुआ था। प्रधानमंत्री को स्टेथोस्कोप और इंजेक्शन के साथ दिखाया गया था, जिसे वह आरएसएस के पीछे लगा रहे हैं। साथ ही, भगवान शिव को लेकर की गई टिप्पणी ने पोस्ट को और अधिक आपत्तिजनक बना दिया।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि यह पोस्ट जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने और सामाजिक तनाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से साझा की गई थी।

मालवीय की दलील

मालवीय की ओर से कहा गया कि कार्टून का उद्देश्य केवल हास्य और सामाजिक-राजनीतिक व्यंग्य था, न कि किसी की धार्मिक या राजनीतिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना।

पूर्व में भी दर्ज हुए हैं मामले

यह पहला मामला नहीं है जिसमें मालवीय कानूनी विवादों में घिरे हों। इससे पूर्व हरिद्वार के कनखल थाने में बाबा रामदेव की शिकायत पर उनके खिलाफ एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री मोदी की माता के निधन पर की गई एक पोस्ट को लेकर भी उनके विरुद्ध मामला दर्ज किया गया था। उस समय भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा द्वारा आपत्ति जताई गई थी और मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दर्ज हुआ था।

इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट 14 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगा।