
ज़िंदगी बचाने वाली खोज: जापानी वैज्ञानिकों ने बनाया कृत्रिम रक्त, अब ब्लड ग्रुप की चिंता नहीं
दुनियाभर में हर दिन दुर्घटनाओं और आपातकालीन हालातों में समय पर खून न मिल पाने के कारण हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत में ही प्रतिदिन लगभग 12,000 मरीज खून की अनुपलब्धता के कारण मौत का शिकार हो जाते हैं। देश में हर साल करीब 1.5 करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है, लेकिन उपलब्धता केवल 1 करोड़ यूनिट के आसपास रहती है।
इस गंभीर समस्या का समाधान अब जापानी वैज्ञानिकों ने खोज लिया है। नारा मेडिकल यूनिवर्सिटी की एक विशेषज्ञ टीम ने कृत्रिम रक्त (Artificial Blood) विकसित किया है, जिसे किसी भी ब्लड ग्रुप वाले मरीज को चढ़ाया जा सकता है — यानी अब रक्त समूह की अनुकूलता (ब्लड मैचिंग) की बाध्यता समाप्त हो सकती है।
कृत्रिम रक्त की ख़ास बातें:
✅ ब्लड ग्रुप की जरूरत नहीं – यह सभी रक्त समूहों के लिए उपयुक्त है
✅ लंबी शेल्फ लाइफ – इसे बिना रेफ्रिजरेशन के भी लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है
✅ आपातकाल में बेहद उपयोगी – दुर्घटनाओं और युद्ध जैसे हालातों में तुरंत प्रयोग संभव
अमेरिकन रेड क्रॉस ने जनवरी 2024 में रक्त की भारी कमी की चेतावनी दी थी। रक्तदाताओं की संख्या बीते 20 वर्षों में सबसे कम हो गई है। ऐसे में यह खोज स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक बड़ी राहत बनकर सामने आई है।
मानव परीक्षण शुरू – 2030 तक संभावित उपयोग
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, इस वर्ष मार्च में कृत्रिम रक्त का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया है। पहले चरण में 16 स्वस्थ वयस्कों को 100 से 400 मिलीलीटर कृत्रिम रक्त चढ़ाया गया। अब वैज्ञानिक इसके प्रभाव और दुष्प्रभावों की बारीकी से जांच कर रहे हैं।
एक और अहम पहलू यह है कि शोधकर्ता अब यह भी परीक्षण कर रहे हैं कि क्या एक्सपायर हो चुके रक्त को फिर से प्रयोग में लाने के लिए कृत्रिम लाल रक्त कोशिकाओं में बदला जा सकता है।
यदि ये परीक्षण सफल रहते हैं, तो जापान 2030 तक दुनिया का पहला देश बन सकता है जहाँ कृत्रिम रक्त को वास्तविक चिकित्सा प्रणाली में इस्तेमाल किया जाएगा।
निष्कर्ष:
यह खोज आधुनिक चिकित्सा में क्रांति ला सकती है। खासकर उन जगहों पर जहाँ रक्त की आपूर्ति चुनौतीपूर्ण होती है – जैसे युद्ध क्षेत्र, प्राकृतिक आपदाएँ या दूरदराज़ के इलाके। आने वाले वर्षों में कृत्रिम रक्त लाखों लोगों की जान बचाने में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।