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पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने नहीं खाली किया आधिकारिक बंगला, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लिखा पत्र

 

पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्ति के बाद भी आधिकारिक आवास में निवास करते रहने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर दिल्ली स्थित 5, कृष्णा मेनन मार्ग का बंगला तुरंत खाली कराने की मांग की है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ नवंबर 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे। नियमों के अनुसार, रिटायरमेंट के बाद उन्हें छह महीने तक टाइप-7 आवास में रहने की अनुमति थी, लेकिन वे अब तक टाइप-8 बंगले में रह रहे हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश का आधिकारिक आवास होता है।

चंद्रचूड़ ने बताई पारिवारिक मजबूरी

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए चंद्रचूड़ ने कहा कि उनकी बेटियों को विशेष देखभाल की आवश्यकता है और उनके लिए उपयुक्त घर ढूंढने में समय लगा। सरकार द्वारा आवंटित वैकल्पिक आवास में मरम्मत का कार्य जारी है, जिसे पूरा होते ही वे स्थानांतरण कर लेंगे।

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने पहले अप्रैल 2025 तक उन्हें निवास की अनुमति दी थी और बाद में मौखिक रूप से मई तक मोहलत दी गई। अब समयसीमा पूरी हो जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि और विलंब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, क्योंकि अन्य न्यायाधीशों को आवास की आवश्यकता है।

बंगला लेने से इनकार करने वाले मुख्य न्यायाधीश

गौरतलब है कि चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के बाद नियुक्त हुए दोनों मुख्य न्यायाधीश – जस्टिस संजीव खन्ना और वर्तमान CJI बी.आर. गवई – ने कृष्णा मेनन मार्ग स्थित बंगले को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और अपने पुराने आवास में रहना पसंद किया। इससे चंद्रचूड़ को वहां अधिक समय तक रहने का अवसर मिला।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा पर असर

यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट को अपने पूर्व CJI से सरकारी आवास खाली कराने के लिए केंद्र सरकार को औपचारिक पत्र लिखना पड़ा है। सामान्यतः ऐसे मामलों का समाधान आंतरिक स्तर पर कर लिया जाता है। लेकिन इस बार अदालत को कड़ा रुख अपनाना पड़ा, जिससे मामला सार्वजनिक रूप से सामने आ गया।