News Image

प्रेमानंद महाराज जी के अनुसार कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न – पूरी होंगी आपकी मनोकामनाएं

 

संत श्री प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि भगवान शिव को प्रसन्न करना अत्यंत सरल है। उन्हें भव्य पूजन सामग्री या दिखावटी साधनों की कोई आवश्यकता नहीं होती। शिव जी को सच्चे मन, श्रद्धा और भाव से किया गया पूजा-अर्चन ही सबसे प्रिय है। वे ‘आशुतोष’ हैं — यानी थोड़ी-सी भी सच्ची भक्ति से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।

सावन: शिव भक्ति का पावन महीना

सावन का महीना भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। इस महीने में अगर कोई श्रद्धालु पूरे मन से शिव जी का स्मरण करता है, तो वह अपने जीवन के संकटों से मुक्ति पा सकता है और उसकी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

प्रेमानंद महाराज जी के बताए शिव भक्ति के सरल उपाय:

शिव जी की पूजा केवल जल अर्पण से भी की जा सकती है।

पूजा का उद्देश्य दिखावा नहीं, भाव होना चाहिए।

एकाग्र चित्त और समर्पण के साथ की गई भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती।

शिव-भक्ति का महत्व:

प्रेमानंद जी एक प्रसंग का उल्लेख करते हैं, जिसमें भगवान श्रीराम अयोध्यावासियों से कहते हैं कि "मैं एक राजा नहीं, एक भक्त के रूप में कह रहा हूं – यदि मेरी भक्ति करनी है तो पहले शिव कृपा प्राप्त करनी होगी। शिव की कृपा के बिना मेरी सच्ची भक्ति संभव नहीं।"

हरि और हर का अभिन्न संबंध:

प्रेमानंद महाराज जी बताते हैं कि भगवान विष्णु (हरि) और भगवान शिव (हर) एक ही परम शक्ति के दो रूप हैं। इस जीवन में हर क्षण अपने ईष्ट का स्मरण ही सच्ची साधना है।

महादेव की कृपा प्राप्त करने का मार्ग:

सच्चे मन और पूर्ण समर्पण से की गई शिव-आराधना से महादेव प्रसन्न होते हैं और भक्त के हृदय में आध्यात्मिक जागरण कर देते हैं। उनकी कृपा से जीवन में शांति, संतुलन और उद्देश्य की अनुभूति होती है।