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चिंता का विषय: महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा सर्वाइकल कैंसर, WHO ने जताई गहरी चिंता — जानें कारण और बचाव

चिंता का विषय: महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा सर्वाइकल कैंसर, WHO ने जताई गहरी चिंता — जानें कारण और बचाव

पिछले दो दशकों में महिलाओं में कैंसर के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जिनमें स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर सबसे आम प्रकार बनकर उभरे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में सर्वाइकल कैंसर को लेकर चिंता जताई है, खासकर 65 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिलाओं में इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए।

65+ उम्र की महिलाओं में भी है जोखिम

विशेषज्ञों का कहना है कि उम्र बढ़ने के बावजूद महिलाएं एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) संक्रमण की चपेट में आ सकती हैं, जो कि सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण है। 65 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में भी यह वायरस सक्रिय पाया जा रहा है, जिससे उन्हें इस घातक रोग का खतरा बना रहता है।

गंभीर आंकड़े:

2023 में वैश्विक स्तर पर लगभग 6.60 लाख नए सर्वाइकल कैंसर के मामले दर्ज किए गए।

इन्हीं में से 3.50 लाख महिलाओं की मौत हुई।

यह कैंसर अब महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर बन चुका है।

एचपीवी वायरस: मुख्य कारण

लगभग 95% सर्वाइकल कैंसर के मामलों के पीछे एचपीवी वायरस जिम्मेदार है। यह संक्रमण आमतौर पर त्वचा के सीधे संपर्क, विशेष रूप से यौन संबंधों के दौरान फैलता है। असुरक्षित या जोखिमपूर्ण यौन व्यवहार इस संक्रमण के फैलाव को बढ़ा सकते हैं।

क्यों सभी उम्र की महिलाओं को सतर्क रहना चाहिए?

20 वर्ष की युवतियों से लेकर वृद्ध महिलाओं तक, हर उम्र की महिला में सर्वाइकल कैंसर का खतरा बना रहता है। ऐसे में विशेषज्ञों की सलाह है कि महिलाएं समय-समय पर सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग करवाती रहें।

डब्ल्यूएचओ की वैश्विक रणनीति (2030 तक के लिए लक्ष्य):

15 साल की उम्र तक 90% लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन देना

70% महिलाओं की नियमित स्क्रीनिंग कराना

90% कैंसर मरीजों को समय पर इलाज उपलब्ध कराना

भविष्य का प्रभाव:

यदि इस रणनीति को वैश्विक स्तर पर प्रभावी रूप से लागू किया जाए तो:

2120 तक अनुमानित 6.2 करोड़ मौतों को रोका जा सकता है।

7.4 करोड़ संभावित नए मामलों को टाला जा सकता है।

निष्कर्ष:

सर्वाइकल कैंसर एक गंभीर लेकिन पूरी तरह से रोके जा सकने वाला रोग है। इसके लिए ज़रूरी है कि हर आयु वर्ग की महिलाएं इस बारे में सजग रहें, नियमित जांच करवाएं, और वैक्सीनेशन व रोकथाम उपायों को अपनाएं। यह न केवल स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करेगा, बल्कि आने वाले वर्षों में लाखों ज़िंदगियाँ भी बचाई जा सकेंगी।