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भारत ने बर्मिंघम में बनाए 587 रन, जीत की ओर बढ़े कदम या इंग्लैंड करेगा वापसी? जानिए अब तक का हाल और इतिहास क्या कहता है

 

बर्मिंघम टेस्ट में भारत ने कप्तान शुभमन गिल के दोहरे शतक की बदौलत पहली पारी में 587 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। दूसरे दिन के खेल के अंत तक इंग्लैंड ने तीन विकेट पर 77 रन बना लिए हैं और अब भी वह भारत से 510 रन पीछे है। स्टंप्स के समय हैरी ब्रूक 30 और जो रूट 18 रन बनाकर क्रीज पर डटे हुए हैं।

इस स्थिति में बड़ा सवाल यह है: क्या भारत इस मैच को जीतकर सीरीज में बराबरी कर पाएगा, या इंग्लैंड इतिहास दोहराते हुए एक और शानदार वापसी करेगा?

गिल का दोहरा शतक, गेंदबाज़ों की शानदार शुरुआत

शुभमन गिल ने रवींद्र जडेजा के साथ 203 रन और फिर वॉशिंगटन सुंदर के साथ 140+ रनों की साझेदारी की। उनकी लाजवाब पारी ने भारत को एक मज़बूत स्थिति में पहुंचा दिया। गेंदबाज़ी में भी भारतीय टीम ने शानदार शुरुआत की। आकाश दीप ने लगातार दो गेंदों पर बेन डकेट और ओली पोप को बिना खाता खोले आउट किया। इसके बाद मोहम्मद सिराज ने जैक क्रॉली को चलता किया।

हालांकि ब्रूक और रूट ने 52 रनों की साझेदारी कर इंग्लैंड की पारी को थोड़ा संभाला, लेकिन अभी भी भारत का पलड़ा भारी है।

इतिहास क्या कहता है?

भारत ने इंग्लैंड में पहली पारी में 500 से अधिक रन बनाकर अब तक सिर्फ एक बार टेस्ट मैच जीता है – 2002 में हेडिंग्ले (लीड्स) में, जब सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड को पारी और 46 रनों से हराया था। उस मैच में द्रविड़, तेंदुलकर और लक्ष्मण ने शतक जड़े थे।

दूसरी तरफ, भारत सिर्फ एक बार पहली पारी में 500+ रन बनाकर हार का सामना कर चुका है – 2008 सिडनी टेस्ट में, जब ऑस्ट्रेलिया ने भारत को चार विकेट से हराया था।

टेस्ट इतिहास में एक दुर्लभ उदाहरण 2017 में देखने को मिला, जब बांग्लादेश ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहली पारी में 595/8 रन बनाकर पारी घोषित की थी, लेकिन न्यूजीलैंड ने वह मैच 7 विकेट से जीत लिया।

इंग्लैंड की संभावित वापसी: इतिहास देता है हौसला

इंग्लैंड के लिए राहत की बात यह है कि वह ऐसे मुश्किल हालात से पहले भी उबर चुका है। चार बार इंग्लैंड ने पहली पारी में 550 से ज्यादा रन लुटाए हैं, लेकिन उनमें से तीन बार 'बैजबॉल' युग में वापसी करते हुए मैच जीते हैं।

इसलिए, तीसरे दिन भारत की रणनीति बेहद अहम होगी। अगर भारतीय गेंदबाज़ इंग्लैंड को फॉलोऑन या बड़ी बढ़त तक सीमित कर पाते हैं, तो मैच भारत के पक्ष में झुक सकता है। लेकिन अगर रूट और ब्रूक लंबी साझेदारी निभा लेते हैं, तो इंग्लैंड की वापसी की उम्मीदें जिंदा रहेंगी।