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शिवलिंग की पूजा में कौन-सी दिशा होनी चाहिए मुख की? जानें सही नियम

 

सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए सबसे पावन माना जाता है। इस दौरान लाखों भक्त शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग की पूजा करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना ज़रूरी होता है? शास्त्रों में वर्णित ये नियम पूजा को पूर्ण और प्रभावशाली बनाते हैं।

शिवलिंग की पूजा के लिए सही दिशा कौन-सी है?

धार्मिक ग्रंथों जैसे शिवपुराण और स्कंद पुराण में पूजा की दिशा को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। इन ग्रंथों के अनुसार:

सबसे उचित दिशा: उत्तर दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग की पूजा करना सबसे उत्तम माना गया है। इस स्थिति में भक्त शिवलिंग के ठीक सामने होता है, जिससे पूजा पूर्ण और दोष रहित मानी जाती है।

भूल से बचें: पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करना उचित नहीं माना गया है, क्योंकि इससे शिवलिंग के मुख्य भाग में बाधा उत्पन्न होती है और पूजा का फल कम हो सकता है।

दक्षिण दिशा में बैठें, उत्तर की ओर देखें: शास्त्रों के अनुसार दक्षिण दिशा की ओर बैठकर और उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करना सबसे श्रेष्ठ स्थिति मानी जाती है। इस स्थिति में शिव और शक्ति (पार्वती) दोनों की उपासना एक साथ होती है, जो विशेष फलदायी मानी जाती है।

उत्तर दिशा का धार्मिक महत्व

उत्तर दिशा को देवताओं और ऋषि-मुनियों की दिशा कहा गया है।

दक्षिण दिशा को पितरों, पूर्व को देवी-देवताओं और पश्चिम को मानवों की दिशा माना जाता है।

स्कंद पुराण में भी उत्तर दिशा की विशेषता का उल्लेख मिलता है। इसीलिए, शिवलिंग की पूजा करते समय उत्तर दिशा की ओर मुख करना आध्यात्मिक दृष्टि से भी सर्वोत्तम माना गया है।

सावन में पूजा का विशेष महत्व

सावन के पावन महीने में यदि भक्त उत्तर दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध या शहद अर्पित करते हैं, तो उनकी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं और उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।