.png)
"प्रस्तावना में बदलाव संभव नहीं, फिर भी 1976 में बदला गया" — उपराष्ट्रपति धनखड़ का आपातकाल पर बड़ा बयान
संविधान की प्रस्तावना में परिवर्तन को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा उठाए गए मुद्दे पर अब देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में बदलाव संभव नहीं है क्योंकि यह उस बीज के समान है, जिससे संविधान रूपी वृक्ष विकसित हुआ है। फिर भी 1976 में आपातकाल के दौरान इसे बदला गया, जो अपने आप में विचारणीय विषय है।
उपराष्ट्रपति ने यह टिप्पणी एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान की। उन्होंने 1976 के 42वें संविधान संशोधन का हवाला देते हुए कहा कि इसी संशोधन के माध्यम से 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष' और 'अखंडता' जैसे शब्द प्रस्तावना में जोड़े गए। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान निर्माण में असाधारण मेहनत की थी और यदि इन शब्दों को जोड़ना आवश्यक होता, तो संविधान सभा में ही यह निर्णय लिया जाता।
धनखड़ ने आगे कहा कि विश्व के किसी भी अन्य लोकतांत्रिक देश की प्रस्तावना में समय के साथ कोई बदलाव नहीं किया गया, जबकि भारत में आपातकाल के दौरान संविधान के मूल स्वरूप में हस्तक्षेप किया गया।
RSS ने उठाया था समीक्षा का मुद्दा
इससे पहले RSS ने भी प्रस्तावना में शामिल 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों की समीक्षा की मांग की थी। संघ का तर्क था कि ये शब्द आपातकाल के दौरान 42वें संशोधन के जरिए संविधान में जोड़े गए थे और संविधान सभा की मूल बहसों या विचार प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थे।
संघ से जुड़ी पत्रिका 'ऑर्गेनाइज़र' में प्रकाशित एक लेख में इसे "राजनीतिक कदम" बताया गया, न कि संविधान सभा के सोच-विचार का परिणाम।
दत्तात्रेय होसबाले की टिप्पणी
RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने तो संविधान की मूल प्रस्तावना को बहाल करने की बात तक कह दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को देश से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि आपातकाल के दौरान संविधान में बदलाव कर लोकतंत्र की आत्मा को चोट पहुंचाई गई।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, कांग्रेस ने RSS और होसबाले की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी ने कहा कि यह संविधान और डॉ. आंबेडकर की समावेशी दृष्टि पर सीधा हमला है। कांग्रेस का कहना है कि RSS ने कभी संविधान को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया और अब वह उसे अपने अनुसार ढालने की कोशिश कर रहा है।