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ढाका में दुर्गा मंदिर पर बुलडोजर कार्रवाई के बाद भारत ने जताई आपत्ति, बांग्लादेश सरकार की सफाई

 

ढाका के खिलखेत इलाके में एक अस्थायी दुर्गा मंदिर को गिराए जाने के मामले में भारत की कड़ी आपत्ति के बाद बांग्लादेश सरकार ने इस पर सफाई दी है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सभी धार्मिक समुदायों के अधिकारों और पूजा स्थलों की सुरक्षा के प्रति सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हालांकि, मंत्रालय ने यह भी कहा कि सार्वजनिक भूमि पर अवैध निर्माण, चाहे वह किसी भी उद्देश्य से हो, स्वीकार्य नहीं है।

यह मामला तब चर्चा में आया जब बांग्लादेश रेलवे प्रशासन ने गुरुवार को खिलखेत क्षेत्र में स्थित एक अस्थायी दुर्गा मंदिर को हटा दिया। प्रशासन का दावा है कि यह मंदिर रेलवे की जमीन पर अवैध रूप से बनाया गया था। मंत्रालय ने बताया कि यह ढांचा पहले एक अस्थायी पंडाल के रूप में शुरू हुआ था, जिसे आयोजकों द्वारा बार-बार चेतावनी के बावजूद स्थायी रूप देने की कोशिश की जा रही थी।

बांग्लादेश सरकार ने कहा कि 26 जून को रेलवे की जमीन से सभी अवैध संरचनाएं हटाने की कार्रवाई की गई, जो शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई। सरकार का कहना है कि कानून सभी धार्मिक स्थलों की रक्षा करता है और बिना भेदभाव के सभी समुदायों को समान अधिकार देता है, लेकिन कानून के अनुसार किसी भी सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जे को अनुमति नहीं दी जा सकती।

इस बीच, भारत सरकार ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि भारत को जानकारी मिली थी कि कुछ चरमपंथी ढाका के इस मंदिर को हटाने की मांग कर रहे थे। भारत ने चिंता जताई कि मंदिर की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बजाय उसे गिरा दिया गया। प्रवक्ता ने कहा, "हम इस घटना से बेहद दुखी हैं और उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश सरकार हिंदू समुदाय और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।"

यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब बांग्लादेश में अंतरिम सरकार कार्यरत है, जिसे लेकर पहले से ही अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठते रहे हैं। भारत की आपत्ति के बाद बांग्लादेश सरकार का यह बयान संबंधों में संतुलन बनाए रखने की कोशिश माना जा रहा है।