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श्रमण संघीय महाश्रमणी गुरूमाता महासती श्री पुष्पवती जी (माताजी) म.सा. आदि ठाणा-7 आज प्रात: सूर्योदय के समय विहार 

 कर ज्ञान विहार कॉलोनी स्थित श्रीमान सज्जनराज जी कांठेड़ के निवास स्थान पधारे। यहाँ महाप्रभावक विघ्न निवारक सर्वसिद्धिदायक उवसग्गहरं स्तोत्र जाप साधना में अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने लाभ लिया। उपप्रवर्तिनी सद्गुरुवर्या डॉ. श्री राजमती जी म.सा. धर्मप्रेमी महानुभावों को सम्बोधित करते हुए फरमाया - भव्य जीवों के तारणहार वीतराग परमात्मा, तीर्थंकरों की महिमा अपार हैं। उनके स्मरण मात्र से अनेक आत्माओं ने अपना जीवन धन्य बनाया है और अभी भी अनेक पुण्यवान आत्मायें प्रभु का नित्य स्मरण करके जीवन को धन्य बना कर सफलता की अनुभूति कर रहे हैं। साध्वी डॉ. राजरश्मि जी म.सा. ने फरमाया - चातुर्मास जैन परम्परा में साधना का विशेष अवसर माना जाता है। इस काल में आत्मा से परमात्मा की ओर, वासना से उपासना की ओर, अहं से अर्हम् की ओर, आसक्ति से अनासक्ति की ओर, भोग से योग की ओर आने का प्रयास किया जाता है। सौभाग्यशाली क्षेत्रों में साधु-साध्वियों के चातुर्मास होते हैं। क्षेत्रवासियों को शांति और सौहाद्र्र की स्थापना करते हुए आत्म कल्याण करने का पुरूषार्थ करना चाहिए। साध्वी डॉ. राजऋद्धि जी म.सा. ने कहा - चातुर्मास जैन संस्कृति की अमूल्य धरोहर है और गुरू भगवन्त संस्कृति के प्रतीक और कल्पवृक्ष के समान होते हैं। श्री संघ अध्यक्ष शिखरचंद सिंगी ने जानकारी दी कि दिनांक 28 जून 2025 को महासती वृंद का चातुर्मास हेतु मंगल प्रवेश ज्ञान विहार, केसर स्वीट्स होते हुए मणिपुंज सेवा संस्थान में प्रात: 8:50 बजे होगा। इससे पूर्व प्रात: 8 बजे श्रावक-श्राविकाओं, गुरू भक्तों द्वारा चातुर्मास प्रवेश की अनुमोदना उत्साहपूर्वक की जायेगी।