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🕉️ शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को क्यों नहीं खाना चाहिए? जानिए शिव पुराण की मान्यता

 

🌿 सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का सबसे पावन समय माना जाता है। इस दौरान भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, फल और अन्य सामग्री अर्पित करते हैं।

❗ लेकिन एक मान्यता है:

🔇 शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद नहीं खाना चाहिए।

इस मान्यता का उल्लेख शिव पुराण में मिलता है। आइए समझते हैं इसके पीछे की धार्मिक मान्यता।

📜 क्या कहता है शिव पुराण?

शिव पुराण के एक श्लोक के अनुसार:

🕯️ "लिंगस्योपरि दत्तं यत् नैवेद्यं भूतभावनम्।
तद् भुक्त्वा चण्डिकेशस्य गणस्य च भवेत् पदम्॥"

🧾 श्लोक का अर्थ:

जो नैवेद्य (प्रसाद) शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है, वह भगवान चण्डेश्वर को समर्पित होता है, जो भूत-प्रेतों के स्वामी हैं।
🍂 यदि कोई उस प्रसाद को खा लेता है, तो वह चण्डेश्वर के गणों के प्रभाव में आ सकता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का असर हो सकता है।

👤 कौन हैं चण्डेश्वर?

🔱 चण्डेश्वर, भगवान शिव के एक रौद्र रूप के गण माने जाते हैं।
🌫️ उन्हें भूत-प्रेतों का अधिपति कहा गया है, और शिवलिंग पर चढ़े भोग को उन्हीं के लिए अर्पित किया जाता है।

कब खा सकते हैं शिवलिंग का प्रसाद?

🟢 कुछ विशेष स्थितियों में शिवलिंग पर चढ़ाया गया भोग ग्रहण किया जा सकता है, जैसे कि:

🧱 शिवलिंग का प्रकार🍽️ प्रसाद खाने की अनुमति
🧊 पत्थर/मिट्टी/चीनी मिट्टी❌ नहीं खाना चाहिए
⚱️ धातु (कांसा, तांबा)✅ खा सकते हैं
🌕 पारद (पारा)✅ खा सकते हैं