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अच्छा मानसून बढ़ा सकता है चीनी उत्पादन, कीमतों में स्थिरता से मिलों को मिलेगी सीमित राहत: क्रिसिल रिपोर्ट

 

नई दिल्ली, जून 2025: क्रिसिल की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार आगामी चीनी सत्र 2026 में बेहतर मानसून की संभावना और अनुकूल कृषि परिस्थितियों के चलते भारत का सकल चीनी उत्पादन 15% से 35% तक बढ़कर लगभग 35 मिलियन टन तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में अच्छी बारिश से गन्ने की बुवाई और पैदावार में सुधार होगा।

रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू चीनी कीमतें इस सत्र में 35 से 38 रुपये प्रति किलोग्राम के सीमित दायरे में बनी रह सकती हैं। उच्च उत्पादन के बावजूद, कीमतों में स्थिरता के कारण चीनी मिलों के मुनाफे में बड़ी वृद्धि की संभावना कम है।

मिलों के परिचालन मार्जिन में सीमित सुधार की उम्मीद

क्रिसिल का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 में उच्च गन्ना लागत, इथेनॉल की कम कीमतों और निर्यात सीमाओं के चलते मिलों का परिचालन लाभांश घटकर 8.7–9% रह गया था। हालांकि, उत्पादन में वृद्धि और इथेनॉल डायवर्जन के चलते 2026 में यह बढ़कर 9–9.5% तक पहुंच सकता है। इससे चीनी मिलों के क्रेडिट प्रोफाइल को समर्थन मिलने की संभावना है।

इथेनॉल डायवर्जन में वृद्धि का अनुमान

रिपोर्ट में बताया गया है कि चीनी से इथेनॉल के लिए डायवर्जन बढ़कर लगभग 40 लाख टन तक हो सकता है। यह वृद्धि सरकार के 20% एथेनॉल मिश्रण लक्ष्य और उच्च चीनी उत्पादन की वजह से संभव हो पाएगी। क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा, “इथेनॉल में विविधीकरण का उद्देश्य चीनी उद्योग की आय और नकदी प्रवाह को स्थिर बनाना है। हालांकि एफआरपी में 4.5% की वृद्धि और इथेनॉल कीमतों में स्थिरता से लाभ सीमित हुआ है।”

स्टैंडअलोन मिलों पर दबाव बरकरार

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन मिलों के पास डिस्टिलरी या को-जेनरेशन की सुविधा नहीं है, उन्हें लागत और लाभप्रदता के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। एकीकृत मिलों के परिचालन मार्जिन में 40–60 आधार अंकों तक ही मामूली सुधार देखने को मिलेगा।