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बीज परीक्षण से लेकर मांसपेशियों की कमजोरी तक: अंतरिक्ष में क्या प्रयोग करेंगे शुभांशु शुक्ला और भारत को इससे क्या मिलेगा?

 

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला गुरुवार, 26 जून को एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचे। यह मिशन निजी अंतरिक्ष कंपनी Axiom Space द्वारा संचालित है, जिसमें शुभांशु पायलट के रूप में शामिल हैं। दो सप्ताह के इस मिशन में वे वैज्ञानिक प्रयोगों और तकनीकी अभियानों का हिस्सा बनेंगे, जो न केवल भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में मददगार होंगे, बल्कि भारत के गगनयान मिशन के लिए भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

शुभांशु शुक्ला की भूमिका क्या है?

शुभांशु इस मिशन में पायलट के तौर पर काम कर रहे हैं।

ड्रैगन कैप्सूल को आईएसएस तक सुरक्षित पहुंचाना, उसे डॉक कराना, और वापसी के दौरान कैप्सूल को नेविगेट करना उनकी जिम्मेदारी है।

वे इस मिशन में सेकंड-इन-कमांड हैं और अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिट्सन के बाद सबसे महत्वपूर्ण सदस्य माने जा रहे हैं।

शुभांशु किन वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लेंगे?

1. बीज परीक्षण (Seed Germination Test)

छह अलग-अलग फसलों के बीज माइक्रोग्रैविटी में ले जाए गए हैं।

उद्देश्य: अंतरिक्ष में खेती की संभावनाओं को परखना।

2. काई (Microalgae) पर प्रयोग

तीन स्ट्रेन की माइक्रोएल्गी को अंतरिक्ष में जांचा जाएगा।

उपयोग: भोजन, ईंधन और ऑक्सीजन उत्पादन के विकल्प के रूप में।

3. टार्डीग्रेड्स पर स्टडी

ये सूक्ष्म जीव अत्यधिक चरम स्थितियों में भी जीवित रहते हैं।

प्रयोग से यह जाना जाएगा कि कौन-कौन से सूक्ष्म जीव अंतरिक्ष के खतरनाक माहौल में बच सकते हैं।

4. मांसपेशियों की कमजोरी का अध्ययन

माइक्रोग्रैविटी में मसल लॉस (Muscle Atrophy) कैसे होता है और इससे कैसे निपटा जा सकता है, इस पर रिसर्च होगी।

डाइटरी सप्लीमेंट्स का प्रभाव भी देखा जाएगा।

5. आंखों पर प्रभाव

पुतली की हरकत, तनाव और सजगता पर माइक्रोग्रैविटी का प्रभाव मापा जाएगा।

6. पोषण गुणवत्ता का अध्ययन

अंकुरित किए गए बीजों के पोषक तत्वों की तुलना पृथ्वी पर उगी फसलों से की जाएगी।

इससे अंतरिक्ष में पोषणपूर्ण फसलें उगाने की दिशा में मदद मिलेगी।

7. सायनोबैक्टीरिया, यूरिया और नाइट्रेट प्रयोग

सायनोबैक्टीरिया की मदद से यूरिया और नाइट्रेट से भोजन और ऑक्सीजन उत्पादन की संभावना तलाशी जाएगी।

अंतरिक्ष में भारतीय भोजन की एंट्री

अब तक अंतरिक्ष यात्रियों के लिए NASA द्वारा तैयार किया गया पैक्ड ड्राई फूड ही इस्तेमाल होता था।

अब ISRO और DRDO ने भारतीय व्यंजनों के स्पेस फ्रेंडली संस्करण तैयार कर लिए हैं।

शुरुआत में इन्हें ले जाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन बाद में इसे हरी झंडी दी गई।

भारत को क्या लाभ होगा?

इन प्रयोगों से गगनयान मिशन के लिए जीवन रक्षण, भोजन, और स्वास्थ्य से जुड़ी तैयारियों में मदद मिलेगी।

भारत के लिए यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुभव प्राप्त करने का अवसर है, जिससे भविष्य में देश की स्वतंत्र अंतरिक्ष यात्रा योजनाएं मजबूत होंगी।