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पंचमुखी हनुमान: पांच मुखों के रहस्य और पौराणिक शक्ति की कथा"

हिंदू धर्म में हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। पंचमुखी हनुमानजी की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर भागती हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर साहस, बल, पराक्रम में वृद्धि होती और नकारात्मक ऊर्जाओं से छुटकारा मिलता है। हिंदू धर्म में वैसे तो हर दिन हनुमानजी की पूजा होती है लेकिन मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की विशेष रूप से पूजा आराधना करने का महत्व होता है। वैसे तो हनुमान जी की पूजा कई स्वरूपों में की जाती लेकिन हनुमान जी के पांच मुखों वाली मूर्ति की पूजा विशेष पूजनीय होती है। हिंदू धर्म में पंचमुखी हनुमानजी की पूजा को साहस, वीरता, शक्ति और नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने का प्रतीक माना जाता है। कई घरों में लोग अपने पूजा स्थल पर हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप की मूर्ति और तस्वीर को रखते हैं। हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। राम भक्त हनुमान जी की उपासना से सुख, शांति, आरोग्य और लाभ की प्राप्ति होती है। इसके साथ इनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां भी हनुमानजी के भक्तों को परेशान नहीं करती। हनुमानजी प्रभु राम के सबसे बड़े भक्त हैं और जो व्यक्ति राम नाम का स्मरण करता है हनुमान जी उसकी सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। क्या आपको पता है कि भगवान राम और रावण के बीच हुए युद्ध में एक समय ऐसी परिस्थिति बनी जब प्रभु राम समेत पूरी वानर सेना संकट में पड़ गई थी, तब हनुमानजी ने पंचमुखी अवतार लेकर सभी को संकट से उभारा था। आइए जानते हैं क्या है हनुमानजी के पंचमुखी अवतार की कथा। हनुमानजी के पंचमुखी अवतार की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम और रावण के बीच के युद्ध चल रहा था तब एक समय ऐसा आया जब रावण युद्ध में हारने लगा था। अपनी हार को जीत में बदलने के लिए रावण ने अपने भाई अहिरावण की मदद ली थी। अहिरावण तंत्र-मंत्र का बहुत बड़ा ज्ञाता और मायावी शक्तियां से युक्त था। युद्ध के दौरान अहिरावण ने अपनी तंत्र-मंत्र विद्या से पूरी वानर सेना समेत भगवान राम और लक्ष्मण को मूर्छित करते हुए उनको कैद करके पाताल लोक में छिप गया था। जहां अहिरावण ने पांच दिशाओं में पांच दिए जला रखे थे। अहिरावण मां दुर्गा का बहुत बड़ा भक्त था और उसे देवी का वरदान प्राप्त था कि जब तक कोई इन पांचों दीपक को एक साथ नहीं बुझएगा, अहिरावण का वध नहीं होगा। अहिरावण की इसी माया को सामाप्त करने के लिए हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख किए पंचमुखी हनुमान का अवतार लिया और पांचों दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया और भगवान राम और लक्ष्मण उसके बंधन से मुक्त हुए। चमुखी हनुमान के स्वरूप का महत्व

पंचमुखी हनुमान जी के पांचों मुख पांच अलग-अलग दिशाओं की तरफ हैं एवं इनके अलग-अलग महत्व बताए गए हैं।

 

वानर मुख- यह मुख पूर्व दिशा में है एवं दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है।

गरुड़ मुख- यह मुख पश्चिम दिशा में है तथा जीवन की रुकावटों और परेशानियों का नाश करता है।

वराह मुख- यह मुख उत्तर दिशा में है तथा लंबी उम्र, प्रसिद्धि और शक्ति दायक है।

नृसिंह मुख- यह दक्षिण दिशा में है, यह डर, तनाव व कठिनाइयों को दूर करता है।

अश्व मुख- यह मुख आकाश की दिशा में है एवं समस्त मनोकामनाओं की पूर्ती करता है। पंचमुखी हनुमान जी की पूजा विधि

हनुमान जी को कलयुग का देवता माना जाता है और इन्हे चिरंजीवी होने का आशीर्वाद मिला हुआ है। ऐसी मान्यता है कि आज भी कलयुग में इस पृथ्वी पर हनुमान जी वास करते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र को सदैव दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए। मंगलवार और शनिवार बजरंगबली की पूजा का विशेष दिन होता है, इस दिन लाल रंग के फूल, सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करने का विशेष महत्व है। इसके साथ गुड़ व चने का भोग लगाना चाहिए। इस दिन सुंदरकाण्ड या हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत फलदाई है। इसके अतिरिक्त घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाने से सभी तरह के वास्तुदोष मिट जाते हैं।भवन क़े मुख्यद्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा लगाने से बुरी आत्माएं प्रवेश नहीं करतीं ।