News Image

ईरान-इस्राइल टकराव चरम पर: छह सैन्य ठिकानों पर हमला, तेहरान ने इस्राइली ड्रोन गिराया

 

पश्चिम एशिया में तनाव गहराता जा रहा है। इस्राइल ने ईरान के छह सैन्य हवाई ठिकानों को निशाना बनाया है, जबकि ईरान ने एक इस्राइली ड्रोन को मार गिराने का दावा किया है। इस पूरे घटनाक्रम के बीच अमेरिका का 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' सामने आया है, जिसमें ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमले की पुष्टि की गई है।

इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस कार्रवाई को "अभूतपूर्व" बताया है। आईडीएफ के मुताबिक, केरमानशाह क्षेत्र में 15 से अधिक लड़ाकू विमानों ने बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च साइटों को निशाना बनाया।

इस बीच, ईरान की संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है, जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति पर असर पड़ने की आशंका है। अब तक दोनों पक्षों के हमलों में 950 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

जासूसी के आरोप में लगातार फांसी

ईरान ने इस्राइली खुफिया एजेंसी मोसाद से जुड़े होने के आरोप में सोमवार को एक और व्यक्ति को फांसी दे दी। मृतक की पहचान मोहम्मद अमीन महदवी शायेस्तेह के रूप में हुई है। बीते एक सप्ताह में यह तीसरी फांसी है। इससे पहले माजिद मोसायेबी और इस्माइल फेकरी को फांसी दी जा चुकी है।

कूटनीति पर ज़ोर, लेकिन ईरान का रुख सख्त

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने क्षेत्र में तनाव को रोकने के लिए बातचीत और कूटनीति का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि ईरान बार-बार अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन कर रहा है और परमाणु हथियारों के प्रयास से पीछे नहीं हट रहा।

उन्होंने चेताया कि दुनिया ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने दे सकती, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि अमेरिका की कार्रवाई क्षेत्रीय युद्ध में न बदले, इसके लिए संवाद ज़रूरी है।

UNSC में अमेरिका का रुख सख्त

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आपात बैठक में अमेरिकी प्रतिनिधि डोरोथी शीया ने कहा कि अमेरिका की सैन्य कार्रवाई आत्मरक्षा के तहत थी। उन्होंने कहा कि ईरान 40 वर्षों से "अमेरिका की मौत" और "इस्राइल की मौत" जैसे नारों के साथ पूरी दुनिया की शांति के लिए खतरा बना हुआ है।

अमेरिका ने यूएन से अपील की है कि वह ईरान पर दबाव बनाए ताकि वह इस्राइल को धमकाना बंद करे, परमाणु हथियार कार्यक्रम छोड़ दे और शांति वार्ता के लिए आगे आए।