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ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका-इस्राइल का हमला: बुशहर को क्यों छोड़ा गया? क्या शेर्नोबिल जैसी त्रासदी का डर है?

 

पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है। ईरान और इस्राइल के बीच जारी संघर्ष को 11 दिन हो चुके हैं और अब इसमें अमेरिका की सक्रिय भूमिका से स्थिति और अधिक विस्फोटक हो गई है। इस्राइल ने जहां अरक, इस्फहान, नतांज और फोर्डो जैसे परमाणु ठिकानों पर हमले किए, वहीं अमेरिका ने भी इन ठिकानों को निशाना बनाया। लेकिन एक सवाल सबके मन में है—बुशहर परमाणु संयंत्र को अब तक क्यों नहीं छुआ गया?

अमेरिका और इस्राइल कितनी गहराई तक घुसे?

इस्राइल और अमेरिका, दोनों ने ही ईरान के उन परमाणु स्थलों को चुन-चुनकर निशाना बनाया है, जो या तो यूरेनियम संवर्धन से जुड़े हैं या परमाणु हथियारों के विकास की आशंका से। इस्फहान, अरक, फोर्डो और नतांज में हुए हमले इसी रणनीति का हिस्सा हैं। तेहरान के आसपास के कुछ रिसर्च सेंटर्स पर भी कार्रवाई की खबरें हैं।

इस्राइल का दावा है कि इन हमलों का मकसद ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना है। वहीं, ईरान लगातार इस बात से इनकार करता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम हथियारों से जुड़ा हुआ है।

बुशहर पर हमले से क्यों बच रहे हैं अमेरिका और इस्राइल?

बुशहर ईरान का पहला और एकमात्र सक्रिय परमाणु ऊर्जा संयंत्र है, जो रूस की तकनीकी मदद से बनाया गया था और वर्तमान में भी रूस की निगरानी में है। हाल ही में रूस ने चेतावनी दी कि अगर बुशहर पर हमला होता है, तो इसका परिणाम शेर्नोबिल जैसी विनाशकारी परमाणु त्रासदी हो सकता है।

1986 में यूक्रेन के शेर्नोबिल में हुए परमाणु विस्फोट के बाद जो तबाही हुई थी, वह आज भी लोगों के जेहन में है। लाखों लोग विस्थापित हुए और विकिरण का असर पीढ़ियों तक पड़ा। यही कारण है कि बुशहर पर हमले की आशंका दुनिया को डरा रही है।

क्या रेडिएशन का खतरा बढ़ रहा है?

अब तक अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने स्पष्ट किया है कि ईरान के जिन ठिकानों पर हमले हुए हैं, वहां से विकिरण (Radiation) फैलने की कोई पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि एजेंसी हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है। लेकिन यदि ऐसे हमले जारी रहते हैं, तो रेडिएशन लीक का खतरा गंभीर हो सकता है, जिससे न सिर्फ ईरान, बल्कि खाड़ी क्षेत्र के कई देश प्रभावित हो सकते हैं।

खाड़ी देशों में क्यों है बेचैनी?

सऊदी अरब, यूएई, कुवैत जैसे खाड़ी देश पहले ही ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर चिंतित थे। अब जब उनके पड़ोस में बमबारी हो रही है, और वह भी संवेदनशील परमाणु ठिकानों पर, तो यह तनाव और बढ़ गया है। एयर ट्रैफिक, समुद्री व्यापार और तेल आपूर्ति पर खतरे की आशंका बनी हुई है।