News Image

बोइंग ड्रीमलाइनर पर फिर उठे सवाल: अहमदाबाद हादसे की जांच निष्पक्ष कैसे होगी?

12 जून को अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने एयर इंडिया और बोइंग ड्रीमलाइनर विमानों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। हादसे के नौ दिन बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। एयर इंडिया अब तक 84 उड़ानें रद्द कर चुकी है, और 20 जून को भी 4 घरेलू और 4 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द किया गया है। मेंटेनेंस और सेफ्टी चेक को देशभर के एयरपोर्ट्स पर बेहद सख्त कर दिया गया है।

एयर इंडिया की ओर से विमानों की रद्दीकरण का कारण 'रख-रखाव और परिचालन जरूरतें' बताया गया है। हालांकि, अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह कदम यात्रियों की सुरक्षा चिंताओं और घटते विश्वास के चलते उठाया गया है। वरिष्ठ पायलट्स के अनुसार, अब केबिन में हल्की सी तकनीकी ध्वनि या हलचल भी यात्रियों में भय पैदा कर रही है।

हादसे के आंकड़े और डीजीसीए की स्थिति

डीजीसीए के अनुसार, हादसे वाले दिन कुल 50 उड़ानों में से 6 उड़ानों को रद्द करना पड़ा। 18 जून तक 33 में से 24 ड्रीमलाइनर विमानों की जांच की जा चुकी है। फिलहाल 2 विमान दिल्ली में ग्राउंडेड हैं। एयर इंडिया ने 21 जून से 15 जुलाई तक 16 अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर 15% उड़ान कटौती का फैसला किया है।

बोइंग ड्रीमलाइनर फिर सवालों के घेरे में

बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, जिसे आधुनिक तकनीक से लैस माना जाता है, 2011 से परिचालन में है, लेकिन इसके साथ कई बार तकनीकी समस्याएं जुड़ती रही हैं। अहमदाबाद हादसे ने फिर से इस मॉडल की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।

हादसे में 241 यात्रियों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कुल मृतकों की संख्या 270 मानी जा रही है। उड़ान भरते ही विमान ने धूल के गुबार के साथ टेकऑफ किया, जो दर्शाता है कि इंजन पूरी क्षमता से कार्य कर रहा था। कुछ ही क्षणों बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और विमानन विशेषज्ञों को ‘पावर सप्लाई फेलियर’ की आशंका हो रही है।

ब्लैक बॉक्स की जांच और निष्पक्षता पर विवाद

दुर्घटनाग्रस्त विमान का ब्लैक बॉक्स दिल्ली के अरविंदो मार्ग स्थित एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इनवेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) के पास है और इसे जांच के लिए बेंगलुरु की सरकारी लैब भेजा जाना प्रस्तावित है। हालांकि अमेरिकी विमान निर्माता बोइंग और अमेरिकी विशेषज्ञ यह मांग कर रहे हैं कि ब्लैक बॉक्स को अमेरिका ले जाया जाए, क्योंकि उनके अनुसार यह "आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त" है और भारत में इसकी पूरी डेटा रिकवरी संभव नहीं है।

भारत सरकार की प्राथमिकता यह है कि जांच देश में ही हो और पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ हो। मगर अमेरिकी दबाव से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या जांच प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष रह पाएगी?