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आजादी की पहली चिंगारी मंगल पांडे

आजादी की पहली चिंगारी
मंगल पांडे का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले क्रांतिकारी के रूप में जाना जाता है। वे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के सिपाही थे। 1857 में अंग्रेजों द्वारा लाई गई एनफील्ड राइफल के कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी के इस्तेमाल से धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। इसका विरोध करते हुए मंगल पांडे ने 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी में एक अंग्रेज अफसर पर हमला कर दिया। इस बगावत को भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहले सशस्त्र विद्रोह की शुरुआत माना जाता है।

8 अप्रैल 1857 को जब फांसी दी गई
मंगल पांडे को विद्रोह करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और उन पर कोर्ट मार्शल चलाया गया। उन्हें पहले 18 अप्रैल को फांसी देने की तारीख तय हुई थी, लेकिन अंग्रेज सरकार को डर था कि उनके समर्थन में और बगावत न हो जाए, इसलिए उन्हें निर्धारित समय से 10 दिन पहले ही, 8 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी गई।


बैरकपुर में दी गई यह फांसी, ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ गुस्से और विद्रोह की लहर को और तेज कर गई। आज ही के दिन 8 अप्रैल को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंका। बम विस्फोट में कोई हताहत नहीं हुआ, क्योंकि क्रांतिकारियों का मकसद सिर्फ ब्रिटिश सरकार को चेतावनी देना और आजादी की आवाज को बुलंद करना था।  

देश और दुनिया के इतिहास में 8 अप्रैल की तारीख कई अहम घटनाओं की गवाह रही है। आइए नजर डालते हैं उन प्रमुख घटनाओं पर जो इस दिन को खास बनाती