
ठाणे में अवैध रूप से रह रहे 8 म्यांमार नागरिकों को दो साल की सजा, सजा पूरी होने पर निर्वासन का आदेश
ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे जिले में अवैध रूप से रह रहे म्यांमार के आठ नागरिकों को अदालत ने दो साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सजा पूरी होने के बाद उन्हें भारत से म्यांमार निर्वासित कर दिया जाए।
यह मामला 26 फरवरी 2024 का है, जब उत्तान सागरी पुलिस ने चौकगांव जेट्टी इलाके से इन नागरिकों को पकड़ा था। पुलिस को देखकर सभी आरोपी भागने की कोशिश करने लगे थे, लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनके पास से मोबाइल फोन और यूएनएचसीआर (संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त) द्वारा जारी कार्ड बरामद हुए थे।
मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक एमएन पावसे ने कहा कि यूएनएचसीआर कार्ड भारत में रहने का वैध अधिकार नहीं देते, क्योंकि भारत ने 1951 के शरणार्थी सम्मेलन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। वहीं, आरोपियों की ओर से यह दलील दी गई कि वे रोहिंग्या शरणार्थी हैं और म्यांमार में हुए अत्याचारों के कारण भागकर भारत आए थे।
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति को यह साबित करना होता है कि वह विदेशी नहीं है। चूंकि आरोपी ऐसा करने में विफल रहे, इसलिए उन्हें दोषी पाया गया। कोर्ट ने सभी आठ आरोपियों पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। एक अन्य भारतीय आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जीटी पवार ने अपने फैसले में कहा कि भारत की जनसंख्या और संसाधनों पर पहले से दबाव है, ऐसे में गैर नागरिकों को बिना वैध दस्तावेजों के यहां रहने देना न तो व्यावहारिक है और न ही सुरक्षित। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि इस तरह की घटनाएं देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं।