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चीन की 'रेयर अर्थ' पॉलिटिक्स पर भारत का करारा जवाब, वैकल्पिक सप्लाई चेन की रणनीति तैयार

भारत अब चीन की दादागिरी को सीधी चुनौती देने के लिए रणनीतिक मोर्चे पर काम कर रहा है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने साफ कर दिया है कि चीन की ओर से दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements) के निर्यात पर लगाई गई रोक ने वैश्विक आपूर्ति श्रंखला की कमजोरियों को उजागर कर दिया है।

स्विट्जरलैंड के बर्न में आधिकारिक दौरे पर गए गोयल ने स्पष्ट किया कि यह समय है जब दुनिया को एक विश्वसनीय व्यापारिक सहयोगी की जरूरत है—और भारत इस भूमिका को निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है।

गोयल ने कहा, "अब वक्त है संभलने का। जो देश अब तक किसी एक भौगोलिक क्षेत्र पर जरूरत से ज्यादा निर्भर थे, उन्हें विकल्प तलाशने होंगे। भारत उन देशों के लिए भरोसेमंद साथी बन सकता है।"

चीन के फैसले का असर

गौरतलब है कि चीन ने बीते 4 अप्रैल को दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के बने चुंबकों के निर्यात पर बिना सरकारी अनुमति प्रतिबंध लगा दिया था। यह वही चुंबक हैं जिनका उपयोग बड़े पैमाने पर ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वच्छ ऊर्जा उपकरणों में होता है।

यह फैसला भारत समेत कई देशों के लिए झटका है क्योंकि दुनिया का करीब 90% दुर्लभ चुंबक चीन में ही प्रोसेस होता है।

भारत की तैयारी

पीयूष गोयल ने माना कि भारत के ऑटोमोबाइल और गुड्स सेक्टर को इससे चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन उन्होंने यह भी साफ किया कि भारत अब वैकल्पिक आपूर्ति श्रंखला विकसित करने की दिशा में तेजी से कदम उठा रहा है।

सरकार कूटनीतिक स्तर पर चीन से संपर्क में है, लेकिन साथ ही दूसरे भरोसेमंद देशों के साथ व्यापारिक साझेदारी और भारत में ही इन तत्वों की प्रोसेसिंग और उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर भी फोकस किया जा रहा है।