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भारतीय शिष्टमंडल की वैश्विक कूटनीतिक मुहिम तेज़, थरूर बोले - पाकिस्तान के समर्थन में कहीं कोई स्वर नहीं

 

भारत के सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल इस समय 33 देशों की राजधानियों में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एकजुट वैश्विक समर्थन जुटाने में लगे हैं। इन प्रतिनिधिमंडलों में 51 सांसदों के साथ-साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री, राजनयिक और वरिष्ठ नौकरशाह शामिल हैं, जो ‘टीम इंडिया’ के रूप में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष मज़बूती से रख रहे हैं।

शिष्टमंडलों ने अल्जीरिया, डेनमार्क, ब्रिटेन, इथियोपिया, फ्रांस, इटली, ग्रीस, बहरीन, कतर, रूस, जापान और यूएई जैसे देशों में भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को रेखांकित करते हुए आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है।

इस अभियान के तहत रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व वाला शिष्टमंडल फिलहाल तीन दिवसीय जर्मनी दौरे पर है।

पनामा, गुयाना, ब्राजील और कोलंबिया की यात्रा पर गए समूह-5 के प्रतिनिधियों ने बताया कि इन देशों ने भारत के साथ आर्थिक साझेदारी गहरी करने की इच्छा जताई। भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने बताया, “इन देशों ने आईआईटी जैसी शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना में रुचि दिखाई और भारत के विकासोन्मुखी दृष्टिकोण को पाकिस्तान के खोखले वादों से कहीं बेहतर माना।”

थरूर का बयान - पाकिस्तान के पक्ष में कोई नहीं

वॉशिंगटन डीसी में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “हमने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को केवल सोशल मीडिया पोस्ट करते देखा। सार्वजनिक रूप से किसी ने भी पाकिस्तान का समर्थन या उसकी प्रशंसा नहीं की। हमने कहीं भी पाकिस्तान के बारे में कुछ अच्छा नहीं सुना।”

उन्होंने कहा, “हमारी बैठकें कहीं अधिक प्रभावशाली और उच्च स्तर की थीं — अमेरिकी सीनेटरों, कांग्रेस सदस्यों और सरकारी अधिकारियों के साथ। पाकिस्तान के तर्कों का हमने तथ्यात्मक जवाब दिया है — जैसे जब वे कहते हैं कि वे आतंकवाद के शिकार हैं, हमने याद दिलाया कि आतंकवाद की जड़ें कहां पनपीं।”

थरूर के बेटे ने उठाया तीखा सवाल

वॉशिंगटन में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान थरूर के बेटे ने सवाल पूछा कि क्या किसी देश ने भारत से पाकिस्तान की पहलगाम हमले में संलिप्तता के सबूत मांगे?

थरूर ने जवाब दिया, “मुझे खुशी है कि यह सवाल उठा। मैंने इसे प्लांट नहीं किया। सच्चाई यह है कि किसी को भी इस बात पर शक नहीं था, इसलिए किसी ने सबूत नहीं मांगा। फिर भी भारत ने हमेशा ठोस प्रमाणों के आधार पर ही कदम उठाए हैं।”