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कोविड वैक्सीन पर नया अध्ययन: बच्चों में ऑटोइम्यून बीमारियों का बढ़ सकता है खतरा, लेकिन बचाव के लिए वैक्सीनेशन ही सबसे जरूरी हथियार

कोविड वैक्सीन शरीर पर किस तरह से असर डालती है, इसे समझने के लिए इजराइल के वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक अध्ययन किया। इस अध्ययन में खासतौर पर बच्चों की सेहत पर वैक्सीन के असर का आकलन किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, जिन बच्चों और किशोरों ने कम से कम कोविड की एक डोज ली थी, उनमें बिना टीकाकरण वाले बच्चों की तुलना में ऑटोइम्यून बीमारी का खतरा करीब 23% ज्यादा पाया गया।

हालांकि, वैज्ञानिकों ने यह भी साफ किया कि यह अध्ययन एक शुरुआती डेटा पर आधारित है और इससे यह निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी कि वैक्सीन बच्चों के लिए पूरी तरह असुरक्षित है। बल्कि, यह अध्ययन वैक्सीनेशन के बाद संभावित साइड इफेक्ट्स पर ध्यान देने की एक जरूरत को रेखांकित करता है, ताकि बच्चों की सेहत की निगरानी बेहतर तरीके से की जा सके।

दूसरी ओर, दुनियाभर में कोरोना के नए वेरिएंट्स का संक्रमण एक बार फिर बढ़ रहा है। हांगकांग, सिंगापुर, भारत, अमेरिका—कई देशों में पिछले एक महीने में केसों में तेजी आई है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, वहां हर हफ्ते 300 से ज्यादा मौतें हो रही हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि नए वैरिएंट्स (जैसे JN.1 और इसके सब-वैरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7) की संक्रमण दर भले ही ज्यादा हो, लेकिन ये ज्यादा घातक नहीं हैं। कोरोना से हो रही मौतों में ज्यादातर वे लोग शामिल हैं जो पहले से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे या जिनकी इम्युनिटी कमजोर थी।

इसलिए विशेषज्ञों की सलाह है कि कोरोना से बचाव के लिए कोविड-उपयुक्त व्यवहार अपनाना और वैक्सीनेशन करवाना अब भी बेहद जरूरी है। वैक्सीनेशन संक्रमण के असर को कम करने और गंभीर बीमारी से बचाव में सबसे प्रभावी उपाय बना हुआ है।