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कोरोना के बढ़ते केस: WHO की चेतावनी, इस बार ये लक्षण ज्यादा परेशान कर रहे

कोरोना के नए वैरिएंट्स से संक्रमण फिर तेजी से बढ़ा, डब्ल्यूएचओ अलर्ट पर

कोरोना महामारी, जो दिसंबर 2019 में शुरू हुई थी, अब भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। बीते कुछ महीनों से भले ही संक्रमण की रफ्तार कम रही हो, लेकिन एक बार फिर कोरोना का खतरा बढ़ रहा है। इस बार भी वायरस ने नए रूपों में म्यूटेट होकर वापसी की है।

हाल ही में कोरोना के दो नए सब-वैरिएंट्स—NB.1.8.1 और LF.7—के मामलों में भारत समेत कई देशों में तेजी देखी जा रही है। भारत की आबादी में भी इनकी वजह से संक्रमण में अचानक उछाल आया है। बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8.1 को अब वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग के तौर पर वर्गीकृत किया है। इससे पहले इसे वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट माना गया था।

क्या है वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग?
जब किसी वायरस को वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग की श्रेणी में रखा जाता है, तो इसका मतलब होता है कि इस पर अब और ज्यादा निगरानी रखनी जरूरी है। इसके लिए वैज्ञानिकों को इसके म्यूटेशन, संक्रमण की रफ्तार, गंभीरता और इसके असर को लगातार ट्रैक करना होता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि हर वैरिएंट बहुत खतरनाक हो, लेकिन सतर्क रहना जरूरी है।

क्या फिर से आ सकती है कोरोना की लहर?
लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या कोरोना की एक और लहर आ सकती है? क्या फिर से टेस्टिंग और वैक्सीनेशन की जरूरत पड़ेगी?

फिलहाल, विशेषज्ञों का कहना है कि नए वैरिएंट्स के कारण माइल्ड (हल्के) लक्षण देखे जा रहे हैं, जैसे- सर्दी, खांसी, बुखार और गले में खराश। अभी तक सांस की गंभीर समस्याएं या ऑक्सीजन की कमी जैसे हालात सामने नहीं आए हैं, जैसा कि डेल्टा वैरिएंट के दौरान हुआ था।

तो क्या करें?

अगर आपको सर्दी-खांसी या बुखार हो रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लें और जरूरत महसूस हो, तो कोविड टेस्ट जरूर कराएं।

बूस्टर डोज की जरूरत पर अभी विशेषज्ञ विचार कर रहे हैं। जिन लोगों ने अपनी वैक्सीनेशन की डोज पूरी नहीं ली है, उन्हें जल्द से जल्द डोज पूरी कर लेनी चाहिए।

सबसे जरूरी बात: मास्क पहनें, भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, और हाथों की सफाई का ध्यान रखें।