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शौर्य चक्र से सम्मानित: सीआरपीएफ जवानों की बहादुरी की सच्ची कहानी

नक्सल विरोधी अभियानों में अद्वितीय वीरता: राष्ट्रपति ने सात कोबरा कमांडो को किया शौर्य चक्र से सम्मानित

नई दिल्ली। गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित वीरता पुरस्कार समारोह में सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो द्वारा नक्सल विरोधी अभियानों में दिखाए गए अदम्य साहस और वीरता के लिए सात जवानों को शांतिकाल के तीसरे सर्वोच्च वीरता सम्मान, शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

इनमें कॉन्स्टेबल पवन कुमार और कॉन्स्टेबल देवन सी को मरणोपरांत यह सम्मान प्रदान किया गया। दोनों वीर जवान छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में स्थित नक्सलियों के गढ़ टेकलगुडियम में सुरक्षाबलों के लिए फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (FOB) स्थापित करने के प्रयास के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। ऑपरेशन के दौरान भीषण गोलीबारी और ग्रेनेड, संशोधित मिसाइलों के बावजूद उन्होंने पीछे हटने से इनकार किया और अद्भुत साहस का परिचय दिया।

इस कठिन अभियान में शामिल डिप्टी कमांडेंट लखवीर सिंह, असिस्टेंट कमांडेंट राजेश पांचाल और कॉन्स्टेबल मलकीत सिंह को भी शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। लखवीर सिंह एक बम धमाके में घायल हुए, जबकि पांचाल गोली लगने से जख्मी हुए। मलकीत सिंह ने अपने साथी पवन कुमार का शव भारी गोलीबारी के बीच वापस लाकर साहस की मिसाल पेश की।

कोबरा बटालियन 201 और 150वीं बटालियन की संयुक्त कार्यवाही से नक्सलियों के गढ़ में सुरक्षाबलों की मजबूत उपस्थिति स्थापित हुई, जिससे नक्सलियों की कमर टूट गई है। अब नक्सली अपने ही इलाकों में घिर चुके हैं और इस सफलता से देश में नक्सलवाद के समूल नाश की उम्मीदें और प्रबल हो गई हैं।

देश को अपने इन वीर सपूतों पर गर्व है, जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर मातृभूमि की रक्षा की।