
ये है मेरी सैशन कोर्ट...!
सुनो! सुनो! सुनो! मेरी भूमि पर एक और आलीशान इमारत ... न्याय का दर "सैशन कोर्ट" का नया भवन बनकर तैयार हो चुका है। यह नया भवन जयपुर रोड पर मौजूद सैशन कोर्ट के सामने वाली भूमि "संयोगिता नगर" की करीब 22 बीघा जमीन पर बना है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस भवन में बेसमेंट के अलावा ग्राउंड फ्लोर और उसके ऊपर पांच मंजिल बनाई गई है। इसमें 7 लिफ्ट हैं। एडवोकेट्स बिल्डिंग में अधिवक्ताओं के लिए 78 चैंबर बनाए गए हैं। इसमें बेसमेंट के अलावा दो मंजिल है। कोर्ट भवन का निर्माण आरएसआरडीसी ने किया। लोकार्पण 20 अप्रैल, 2025 को चीफ जस्टिस राजस्थान हाई कोर्ट माननीय श्री मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव जी के कर कमलों से हो रहा है।
अदालत के इस नए भवन का निर्माण 23 मार्च 2018 को आरंभ हुआ, जिसे 21 सितंबर 2019 को पूरा करना था, किंतु कॉविड काल व फंड की समस्या के कारण समय सीमा बढ़ती गई और अंततः मार्च 2025 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। इस भवन के निर्माण में करीब 150 करोड़ रुपए खर्च हुए। यह भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, जिसमें करीब 54 अदालत संचालित होगी। यह फुली सेंट्रलाइज्ड एसी, सीसीटीवी कैमरा फायरफाइटिंग सिस्टम, पार्किंग आदि से लैस है। इसमें ट्रायल रूम, रिकॉर्ड रूम तथा न्यायिक अधिकारियों के लिए ऑफिस रूम भी बनाए गए हैं।
उपलब्ध कोर्टे -
मेरे यहाँ डीजे, फेमेली कोर्ट 1 से 2, लेबर कोर्ट, पोक्सो कोर्ट 1 से 2, एसीडी (एन्टी क्रप्शन डिपार्टमेंट), वाणिज्यिक न्यायालय, डेजिगनेटेड कोर्ट (टाडा कोर्ट), अपील रेन्ट ट्रिब्यूनल, महिला अत्याचार (वूमन एट्रोसिटी), एससी एसटी कोर्ट, एडीजे (एडिशनल डिस्ट्रक्ट एण्ड सैशन जज) एक से पाँच, विधुत अपराध अधीनियम (एडीजे स्तर के जज), सीजेएम, एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट 1 से 3, पी.सी.पी.एन.डी.टी.एक्ट प्रकरण न्यायालय, रेंट ट्रिब्यूनल, रेल्वे कोर्ट, जुडिशियल मजिस्ट्रेट नं. 1 से 6, मजिस्ट्रेट इस्ट, वेस्ट, नोर्थ, साउथ, एन आई एक्ट केसेज (नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट केसेज) 1 से 4, आदि करीब 40 कोर्ट हैं।
इतिहास के आईने -
जिला न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार इतिहास के आईने में अजमेर जजशिप इस प्रकार रही -
अजमेर न्यायपालिका के राजस्थान में विलय से पहले इसे अजमेर-मेरवाड़ा स्टेट कहा जाता था।अजमेर-मेरवाड़ा राज्य के समय न्यायिक आयुक्त की नियुक्ति अजमेर न्यायालय विनियमन अधिनियम 1926 की धारा 3 के तहत गवर्नर जनरल द्वारा की जाती थी। यह विनियम भारत के संविधान के तहत 2 अक्टूबर 1926 को प्रकाशित हुआ था।
पहले न्यायिक आयुक्त की अदालत “सुख निवास” से संचालित होती थी। वर्तमान में उस भवन में निदेशक आयुर्वेद का कार्यालय चल रहा है। सुख निवास भवन से यह कार्यालय सर्किट हाउस अजमेर के भूतल पर स्थानांतरित किया गया।
अजमेर न्यायालय विनियम 1926 के अधीन श्री डब्ल्यू.टी.डब्ल्यू. बेकर (आई.सी.एस.) को वर्ष 1926 में अजमेर के पहले न्यायिक आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था। श्रृंखला में अंतिम न्यायिक आयुक्त वर्ष 1955 में श्री बी.एन निगम थे। वर्ष 1950-51 में श्री आत्म चरण अजमेर के न्यायिक आयुक्त थे। इससे पहले वे सत्र न्यायाधीश के पद पर थे और नाथू राम गोडसे (महात्मा गांधी पर गोली चलाने) को आजीवन कारावास की सजा दे चुके हैं।
अजमेर न्यायालय विनियम 1877 के अनुसार अजमेर-मेरवाड़ा राज्य में 1877 से 1926 तक न्यायालयों की संरचना भिन्न थी।
'अजमेर इतिहास और पर्यटन' पुस्तक के पेज 90 के अनुसार जिला न्यायायलय का भवन का निर्माण वर्ष 1887 में हुआ। अजमेर का वृहद इतिहास के पृष्ठ 222 के अनुसार सन् 1872 के करीब नऐ न्यायालय भवन का निर्माण हुआ। इसके बाद छोटे मुकदमों के लिए सन् 1921 में 55140 रूपये की लागत से कोर्ट बनी। वर्तमान न्यायालय परिसर की भूमि 12.32 बीघा बताते हैं। राजपूताना डिस्ट्रिक्ट गजेटियर्स वोल्यूम 1-अ के अध्याय 18 के पृष्ठ 118 के अनुसार अजमेर डिस्ट्रक्ट कोर्ट का निर्माण 1873 से 1876 के मध्य हुआ। पुराने कोर्ट परिसर में न्यायेश्वर मंदिर भी स्थित है, पूजा पाठ, सहस्त्रधारा आदि के आयोजन होते रहे हैं।
मुगल काल में अकबर ने दरगाह के निकट भी एक कचहरी बनवाई, जहॉं सुनवाई भी की जाती थी।आज यहॉं दरगाह कमेटी का गेस्ट हाउस बना है। खैर, अब अतीत से निकलकर अदालतें आधुनिक सुख सुविधाओं से सुसज्जित भवन में आ रही है।
जिला एवं सैशन जज अजमेर -
वर्ष 1956-57 से यहां कई माननीय न्यायाधीश जिला एवं सैशन जज के पद पर रह चुके हैं, जिनमें
प्रमुख हैं -
क्रिस्टोफर जैकब, किशन लाल धाबाई, सोहनलाल अग्रवाल, डीसी शर्मा, गोपाल मल मेहता, रणछोड़ दास गट्टानी, सरदार सिंह, द्वारका प्रसाद गुप्ता, घनश्याम दास गुप्ता, एसएस भटनागर, कांता भटनागर, किशोर सिंह लोढ़ा, आरएस वर्मा,
नंदलाल छंगानी, एस आर भंसाली, आर एच अजवानी, जसकरण दासानी, आरपी सक्सेना, जीके इसरानी, नागराज मेहता, सुनील कुमार गर्ग, डीसी दलेला, पीके तिवारी, नंदलाल छंगानी, एके सिंह, कन्हैया लाल व्यास, जितेंद्र राय गोयल, ए सी गोयल, जीएस होरा, हरि सिंह पूनिया, गौरी शंकर सर्राफ, नरेंद्र कुमार पुरोहित, जगदीश प्रसाद शर्मा, अतुल कुमार जैन, पीके अग्रवाल, जनार्दन व्यास, एके शारदा, उमेश कुमार शर्मा, जी आर मूलचंदानी, एसके जैन, विष्णु दत्त शर्मा (प्रथम), वी के भारवानी, अनूप कुमार सक्सेना, मदन लाल भाटी, संगीता शर्मा आदि।
नया न्यायालय भवन -
फरवरी, 2018 में संयोगिता नगर की भूमि पर नए न्यायालय भवन का शिलान्यास राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग जी ने किया। बार अध्यक्ष मोहन सिंह राठौड़ भी उपस्थित थे। नए भवन का निर्माण राजस्थान स्टेट रोड़ डवलपमेंट (आरएसआरडीसी) की देखरेख में हुआ। कुल लागत करीब 138 करोड़ आंकी गई थी। न्यायालय की इस जमीन के लिए वकीलों ने काफी जद्दोजहद और कानूनी लड़ाई लड़ी। नए भवन का निर्माण किसी कॉरपोरेट ऑफिस की भांति हुआ है।
जिला बार एसोसिएशन एवं अन्य -
यहां एडवोकेट्स के हितों के लिए बार एसोसिएशन सक्रिय है। इसकी स्थापना सन् 1925 में हुई। इसका पंजीयन क्रमांक 33/1937 है। वर्ष 1960 62 में यहां के अध्यक्ष ज्योति स्वरूप गुप्ता एवं सेक्रेटरी बी एल माहेश्वरी थे। फरवरी 2016 में यहां की वेबसाइट बनाई गई। वर्तमान अध्यक्ष अशोक रावत एवं सचिव दीपक गुप्ता हैं। इनसे पूर्व अध्यक्ष चंद्रभान सिंह राठौड़ एवं सचिव राजेश यादव थे। मेरी धरा पर राजस्व न्यायालय भी है। टैक्स बोर्ड भी है। मोटे हिसाब से सेशन कोर्ट में वकीलों की संख्या करीब 1800 है और राजस्व अदालत में करीब सवा तीन सौ है। न्यायिक कर्मचारियों के हितों के लिए राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ सक्रिय है। इसका पंजीयन संख्या 299/80 है।
खैर अब नया भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित तैयार है। स्वाभाविक है कि सभी की कार्य क्षमता में इजाफा होगा। सभी को सुविधाएं मिलेंगी। परेशानियां कम होंगी। उम्मीद है कि पेंडेंसी भी तीव्र गति से निपटेगी और तारीख पे तारीख पड़ने का सिलसिला टूटेगा। मुकदमों की ढेरी कम होगी... इसी उम्मीद के साथ आप सभी को इस नए भवन की बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं ...
- अनिल कुमार जैन