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भारत में गिरफ्तार पाकिस्तानी मछुआरों की रिहाई की अपील
मानवीय आधार पर नाबालिगों को तुरंत छोड़े जाने की मांग

 

कराची/इस्लामाबाद | [तारीख]

भारत की समुद्री सुरक्षा एजेंसियों द्वारा भारतीय समुद्री सीमा में प्रवेश के आरोप में 11 पाकिस्तानी मछुआरों की गिरफ्तारी पर उनके परिजनों ने गहरी चिंता व्यक्त की है और भारत तथा पाकिस्तान दोनों सरकारों से मानवीय आधार पर उनकी शीघ्र रिहाई की अपील की है। गिरफ्तार किए गए मछुआरों में दो नाबालिग बच्चे—12 वर्षीय जहीर और 15 वर्षीय हबीब—भी शामिल हैं।

गिरफ्तार सभी मछुआरे कराची के इब्राहिम हैदरी क्षेत्र के निवासी हैं और अत्यंत गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। उनके परिजनों का कहना है कि मछली पकड़ना ही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है। गुलाम मुस्तफा के पिता अहमद ब्रोही ने कहा,
“हम बहुत गरीब लोग हैं। मछली पकड़कर ही हमारे घरों का चूल्हा जलता है। सरकार से गुजारिश है कि वह इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करे।”

परिजनों ने यह भी बताया कि यह कोई पहली घटना नहीं है। चार वर्ष पूर्व भी इसी क्षेत्र के तीन मछुआरे इसी प्रकार गिरफ्तार किए गए थे, जो अब तक भारतीय जेलों में बंद हैं।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय तटरक्षक बल ने बुधवार को गुजरात के जखाऊ क्षेत्र के पास इन मछुआरों को गिरफ्तार किया। सिंध फिशरीज विभाग की प्रमुख फातिमा मजीद ने कहा कि अरब सागर में भारत और पाकिस्तान के बीच समुद्री सीमा स्पष्ट रूप से चिह्नित नहीं है, जिसके कारण मछुआरे अक्सर अनजाने में सीमा पार कर जाते हैं। उन्होंने विशेष रूप से काजर क्रीक और सर क्रीक क्षेत्रों का उल्लेख किया, जहां इस तरह की घटनाएं बार-बार होती हैं।

फातिमा मजीद ने भारत सरकार से अपील की है कि नाबालिग बच्चों को मानवीय आधार पर तुरंत रिहा किया जाए। उन्होंने कहा,
“गरीब मछुआरों के लिए समुद्र में कोई सीमा नहीं होती। वे केवल अपने परिवार का पेट पालने के लिए समुद्र में जाते हैं।”

पाकिस्तान फिशरफोक फोरम के अनुसार, इस ताजा घटना के बाद भारत की जेलों में बंद पाकिस्तानी मछुआरों की संख्या लगभग 74 हो गई है। दोनों देशों के बीच समय-समय पर कैदियों की अदला-बदली होती रही है, लेकिन हालिया तनाव के कारण यह प्रक्रिया धीमी हो गई है।

मछुआरों के परिवारों और संबंधित संगठनों ने दोनों देशों की सरकारों से आग्रह किया है कि राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए और गरीब मछुआरों, विशेषकर नाबालिग बच्चों, को जल्द से जल्द उनके परिवारों से मिलाया जाए।