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भारत की सुगंध राजधानी: कन्नौज

 

परंपरा और नवाचार से इत्र उद्योग बन सकता है वैश्विक ब्रांड

उत्तर प्रदेश का कन्नौज भारत की ‘सुगंध राजधानी’ के रूप में जाना जाता है। यहां का पारंपरिक इत्र उद्योग न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के एमएसएमई क्षेत्र में भी अहम योगदान देता है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) योजना के तहत कन्नौज के इत्र और सुगंध उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का लक्ष्य रखा गया है।

एमएसएमई सेक्टर और महत्व

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) भारत की आर्थिक रीढ़ माने जाते हैं। यह क्षेत्र नवाचार को प्रोत्साहित करता है, स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन करता है और क्षेत्रीय विकास को मजबूती प्रदान करता है। इसी परिप्रेक्ष्य में अमर उजाला एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव आयोजित किया जा रहा है, जिसमें डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, फाइनेंस तक आसान पहुंच, सप्लाई चेन का आधुनिकीकरण, कौशल विकास और निर्यात क्षमता जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।

इस कॉन्क्लेव का मुख्य फोकस भविष्य की फंडिंग व्यवस्था, ब्रांडिंग और मार्केटिंग रणनीतियां, उभरती तकनीकें, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और महिलाओं की भागीदारी जैसे विषय रहेंगे। साथ ही ODOP योजना के जरिए स्थानीय उत्पादों को वैश्विक ब्रांड बनाने की रणनीति पर भी विचार होगा।

कन्नौज: परंपरा और संभावनाएं

कन्नौज सदियों से परफ्यूम, अत्तार और एसेंशियल ऑयल्स के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहां का इत्र उद्योग पारंपरिक तकनीकों के साथ आधुनिक नवाचारों को अपनाकर एक बार फिर से अपनी वैश्विक पहचान बना सकता है। कानपुर से निकटता के चलते लेदर और फुटवियर सेक्टर में भी यहां की MSME इकाइयों की उल्लेखनीय भूमिका है।

सरकार की पहल

कन्नौज के सुगंध उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं—

सुगंध एवं स्वाद विकास केंद्र (FFDC)

परफ्यूम पार्क (UPSIDC)

ODOP योजना

बाजार विकास सहायता योजना

इन पहलों की बदौलत सुगंधको और अजमल परफ्यूम जैसे ब्रांड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना पाए हैं।

चुनौतियां और समाधान

हालांकि, कन्नौज का पारंपरिक इत्र उद्योग कई चुनौतियों से जूझ रहा है—

प्राकृतिक सुगंधों की जगह तेजी से बढ़ती सिंथेटिक खुशबुओं ने मांग को प्रभावित किया है।

फूलों और प्राकृतिक तत्वों की आपूर्ति मौसम और जलवायु पर निर्भर है, जिससे लागत और उपलब्धता प्रभावित होती है।

कमजोर ब्रांडिंग और आधुनिक मार्केटिंग की कमी के कारण स्थानीय कारीगर वैश्विक बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

इसके बावजूद, यहां की MSME इकाइयां नए उत्पादों के विकास और रोजगार सृजन में निरंतर प्रयासरत हैं। यदि परंपरा और आधुनिक तकनीक का संतुलन साधा जाए तो कन्नौज का इत्र उद्योग भारत का सशक्त वैश्विक ब्रांड बन सकता है।