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क्या मोहन भागवत खत्म करेंगे वसुंधरा का ‘वनवास’? राजस्थान बीजेपी में फिर बढ़ी सरगर्मी

 

राजस्थान बीजेपी की राजनीति इन दिनों शांत पानी जैसी दिख रही है, लेकिन अंदर ही अंदर लहरें उठ रही हैं। इस खामोशी के बीच सारी निगाहें एक बार फिर वसुंधरा राजे पर टिकी हैं। लंबे समय से ‘सियासी वनवास’ झेल रहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा अब दोबारा केंद्र में आती नजर आ रही हैं।

दरअसल, बुधवार को जोधपुर प्रवास के दौरान वसुंधरा राजे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत से करीब 20 मिनट मुलाकात की। यह मुलाकात साधारण नहीं मानी जा रही, क्योंकि हाल ही में धौलपुर के एक धार्मिक मंच से वसुंधरा ने कहा था— “जीवन में हर किसी का वनवास होता है, लेकिन वह स्थायी नहीं होता। वनवास आएगा तो जाएगा भी।”

इससे पहले, पिछले महीने दिल्ली में संसद के भीतर उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई बातचीत ने भी राजनीतिक गलियारों में नए कयासों को हवा दी थी।

विश्लेषकों का मानना है कि मजबूत जनाधार, महिला नेतृत्व की जरूरत और संघ के साथ सुधरते रिश्ते वसुंधरा को फिर से भाजपा में निर्णायक भूमिका में ला सकते हैं। अब सवाल यही है—क्या मोहन भागवत की ‘संकेतभरी’ मुलाकात वसुंधरा के सियासी वनवास का अंत साबित होगी?