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क्या चंद्र ग्रहण के साथ रखा जा सकता है पूर्णिमा का व्रत? जानें सही नियम

 

7 सितंबर 2025 को भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। खास बात यह है कि इसी दिन चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या इस दिन व्रत रखना शुभ है या नहीं। आइए जानते हैं धार्मिक मान्यताओं और नियमों के अनुसार क्या करना चाहिए।

पूर्णिमा व्रत और चंद्र ग्रहण का संयोग

भादो पूर्णिमा तिथि: 7 सितंबर, सुबह 9:27 बजे से 8 सितंबर, सुबह 7:30 बजे तक

चंद्र ग्रहण का समय: 7 सितंबर रात 9:58 बजे से 1:26 बजे (8 सितंबर तड़के)

कुल अवधि: 3 घंटे 29 मिनट

व्रत रखा जा सकता है या नहीं?

हिंदू धर्म में पूर्णिमा का व्रत बहुत शुभ और फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से सुख-समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

व्रत रखना पूर्णतः शुभ है, लेकिन ग्रहण और सूतक काल में पूजा-पाठ नहीं किया जाता।

व्रत का संकल्प ग्रहण शुरू होने से पहले करें।

पूजा, कथा और आरती ग्रहण समाप्त होने के बाद करें।

ग्रहण खत्म होने पर गंगाजल का छिड़काव करके शुद्धि करें और फिर भगवान सत्यनारायण की पूजा करें।

सूतक काल

चंद्र ग्रहण से लगभग 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है।

इस बार सूतक 7 सितंबर दोपहर से शुरू होकर 8 सितंबर तड़के 1:26 बजे तक रहेगा।

सूतक में पूजा-पाठ और धार्मिक कार्य वर्जित रहते हैं।

पूर्णिमा व्रत की विधि

प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।

गंगाजल से शुद्धि कर दीप प्रज्वलित करें और कलश स्थापना करें।

पुष्प, अक्षत, तुलसीदल और फल अर्पित करें।

पंचामृत से अभिषेक कर सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ और आरती करें।

पूरे दिन फलाहार करें और अगले दिन पारण के बाद अन्न ग्रहण करें।

🔔 नोट: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं, पंचांग और ग्रंथों पर आधारित है।