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निकाय चुनाव बैलेट पेपर से कराने के फैसले पर सियासत तेज, भाजपा ने साधा निशाना

 

कर्नाटक सरकार ने पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से मतदान कराने की सिफारिश की है। राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर विपक्षी भाजपा ने तीखा हमला बोला है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार ने गुरुवार को राज्य चुनाव आयोग (SEC) से कहा कि भविष्य के सभी स्थानीय चुनाव बैलेट पेपर के जरिए कराए जाएं। कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने कैबिनेट के फैसले का कारण बताते हुए कहा कि जनता के बीच ईवीएम पर भरोसा और विश्वसनीयता कम हो रही है।

भाजपा का पलटवार
भाजपा ने इस निर्णय को कांग्रेस की "वोट चोरी" की राजनीति से जोड़ा। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने एक्स पर लिखा कि, "कांग्रेस को अगर बैलेट पेपर पर भरोसा है तो इसका मतलब है कि वे ईवीएम से हुए चुनावों की वैधता पर खुद सवाल उठा रहे हैं।"

विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि बैलेट पेपर के दौर में सबसे ज्यादा धांधली, अवैध मतदान और चुनावी हिंसा की शिकायतें दर्ज हुई थीं और इनमें ज्यादातर मामले कांग्रेस से जुड़े थे। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि आपातकाल के पीछे भी चुनावी गड़बड़ियां एक बड़ा कारण रही थीं।

भाजपा नेताओं का कहना है कि जब दुनिया तकनीक का इस्तेमाल कर आगे बढ़ रही है, तब कर्नाटक सरकार का यह फैसला "पिछड़ेपन" की ओर लौटने जैसा है। वहीं कांग्रेस का तर्क है कि मतदाताओं का भरोसा बनाए रखने के लिए बैलेट पेपर से चुनाव कराना आवश्यक कदम है।