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जरूरत से ज्यादा नींद और आलस: ये हो सकते हैं गंभीर बीमारियों के संकेत
एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए 7-8 घंटे की नींद पर्याप्त मानी जाती है। लेकिन अगर आप पर्याप्त नींद लेने के बाद भी थकान, सुस्ती और आलस महसूस करते हैं, तो इसे हल्के में न लें। यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का शुरुआती संकेत हो सकता है।
ऐसी स्थिति को मेडिकल भाषा में हाइपरसोम्निया (Hypersomnia) कहते हैं। इसमें व्यक्ति रात में पूरी नींद लेने के बावजूद दिनभर नींद और सुस्ती महसूस करता है। अगर आपको रोजाना 7-8 घंटे से ज्यादा सोने की जरूरत महसूस होती है या पर्याप्त नींद के बाद भी ताजगी नहीं आती, तो यह आपके शरीर के लिए चेतावनी हो सकती है।
आइए जानते हैं इसके पीछे के संभावित कारण:
🔹 1. स्लीप एपनिया
हाइपरसोम्निया का एक बड़ा कारण स्लीप एपनिया है। इसमें सोते समय कुछ सेकंड्स के लिए सांस रुक जाती है या बहुत धीमी हो जाती है। इससे दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती और आपकी नींद बार-बार टूटती है। कई बार यह रुकावट आपको महसूस भी नहीं होती, लेकिन नींद पूरी न होने के कारण आप दिनभर थके रहते हैं।
🔹 2. थायराइड की समस्या
थायराइड ग्रंथि हमारे मेटाबॉलिज्म और ऊर्जा उत्पादन को नियंत्रित करती है। यदि यह ग्रंथि सही तरीके से काम नहीं करती (Hypothyroidism), तो शरीर की कार्यप्रणाली धीमी हो जाती है। इसके कारण थकान, वजन बढ़ना और ज्यादा नींद आना आम लक्षण हैं। ऐसे में थायराइड की जांच करवाना जरूरी है।
🔹 3. पोषण की कमी
शरीर में आयरन, विटामिन B12 और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की कमी भी थकान और आलस का कारण बनती है। संतुलित आहार न लेने से शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती, जिससे आप दिनभर सुस्ती महसूस कर सकते हैं।
🔹 4. अवसाद (डिप्रेशन)
डिप्रेशन भी हाइपरसोम्निया का एक आम कारण है। डिप्रेशन में व्यक्ति अक्सर ज्यादा सोता है क्योंकि नींद उसके लिए मानसिक तनाव से बचने का तरीका बन जाती है।
🩺 क्या करें?
लगातार 7-8 घंटे से ज्यादा नींद की जरूरत महसूस हो रही है?
नींद पूरी होने के बावजूद सुस्ती और थकान बनी रहती है?
तो यह आपके लिए डॉक्टर से संपर्क करने का समय है। सही कारण जानने के लिए डॉक्टर कुछ जरूरी जांच कर सकते हैं।
इसके साथ ही:
संतुलित आहार लें
नियमित व्यायाम करें
सही नींद का रूटीन अपनाएं
इन साधारण बदलावों से भी स्थिति में काफी सुधार हो सकता है।
📌 नोट: यह लेख विभिन्न मेडिकल रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की सलाह पर आधारित है। सही इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।