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बिहार में वोटर लिस्ट से नाम हटाने के लिए 1.98 लाख आवेदन, सिर्फ दो दलों ने दर्ज कराई आपत्तियां
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान के दौरान बड़ी संख्या में दावे और आपत्तियां सामने आई हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, अब तक 1.98 लाख लोगों ने अपना नाम मतदाता सूची से हटाने के लिए आवेदन किया है, जबकि 29,879 लोगों ने सूची में नाम जोड़ने की मांग की है।
आयोग ने बताया कि 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट मतदाता सूची पर 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां ली जाएंगी। इस अवधि में आम लोगों के साथ-साथ राजनीतिक दल भी नाम जोड़ने और हटाने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
सिर्फ दो दलों ने दर्ज की आपत्तियां
चुनाव आयोग के डेली बुलेटिन के अनुसार, 30 दिन बीतने के बाद भी केवल दो राजनीतिक दलों ने आपत्तियां दर्ज कराई हैं:
भाकपा-माले (लिबरेशन): 10 आपत्तियां दर्ज, बीएलए की संख्या 1,496
राजद (लालू प्रसाद यादव की पार्टी): 10 आपत्तियां दर्ज, बीएलए की संख्या 47,506
बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) की ओर से अब तक 25 नाम जोड़ने और 103 नाम हटाने के आवेदन आए हैं।
99.11% मतदाताओं ने करवाई डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन
राज्य में कुल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.11% लोगों ने अपने दस्तावेज सत्यापन के लिए जमा कर दिए हैं। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आधार कार्ड के साथ-साथ नाम जोड़ने के लिए अन्य 11 दस्तावेज भी मान्य होंगे।
भाकपा-माले ने लगाए आरोप
भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने आयोग पर पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
“हमने अब तक 100 से अधिक आपत्तियां दर्ज कराई हैं, लेकिन आयोग के रिकॉर्ड में सिर्फ 10 दिखाए गए हैं। पहले दिन भोजपुर जिले में ही हमने 13 आपत्तियां की थीं, लेकिन आयोग ने सिर्फ दो को दर्ज किया। यह गंभीर साजिश की ओर इशारा करता है।”
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि बिहार में चल रही विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से की जा रही है।