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सैयारा’ ने दिखाई रोमांटिक कहानियों की ताकत, कृतिका कामरा बोलीं- निभाना चाहती हूं दमदार किरदार

 

ओटीटी की दुनिया का चर्चित नाम कृतिका कामरा हाल ही में सीरीज ‘सारे जहां से अच्छा’ में फातिमा के किरदार में नजर आईं। इस शो और उनके अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। टीवी से लेकर फिल्मों और फिर ओटीटी तक का सफर तय कर चुकीं कृतिका एक्टिंग के साथ-साथ चंदेरी में ‘सिनाबार’ नाम से फैशन इनिशिएटिव भी चला रही हैं, जो स्थानीय कारीगरों को पहचान दिलाने का प्रयास है। हाल ही में उन्होंने अमर उजाला से अपने नए प्रोजेक्ट्स और एक्टिंग सफर को लेकर खुलकर बातचीत की।

शो पर मिली प्रतिक्रिया

कृतिका कहती हैं,
"सबसे अच्छी बात यह लगी कि दर्शकों ने शो के इरादे को समझा। यह कोई बनावटी या स्टीरियोटाइप कहानी नहीं थी, बल्कि भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को ईमानदारी और संतुलन के साथ दिखाने की कोशिश थी। लोगों ने इस नजरिए को पहचाना और सराहा, यही सबसे बड़ी जीत है।"

पत्रकार फातिमा का किरदार निभाने की चुनौती

"किरदार में उतरना मुश्किल नहीं था, क्योंकि मैं ऐसे कई पत्रकारों को जानती हूं जो सच बोलने से पीछे नहीं हटते। असली चुनौती 70 के दशक के दौर को पकड़ने की थी। इसके लिए मैंने उस समय के इंटरव्यू देखे, उनकी बोलने की शैली और लहजा सीखा, ताकि डायलॉग्स असली लगें।"

करियर सफर और इंडस्ट्री में बदलाव

"‘कितनी मोहब्बत है’ से लेकर ‘सारे जहां से अच्छा’ तक मेरी कोशिश रही है कि मैं खुद को न दोहराऊं। इंडस्ट्री में अक्सर कलाकारों को एक ही तरह के रोल में बांध दिया जाता है, लेकिन मैंने अलग किरदारों का रिस्क लिया। अच्छा लगता है कि अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर नई कहानियों और एक्सपेरिमेंट्स की भरपूर गुंजाइश है।"

महिला-केंद्रित कहानी पर अनुभव

"अनुषा रिजवी की स्क्रिप्ट पढ़कर ही लगा था कि यह प्रोजेक्ट खास होगा और सच में उम्मीदों से भी बढ़कर साबित हुआ। सेट पर माहौल सहज और परिवार जैसा था। सबसे बड़ी बात यह कि हर डिपार्टमेंट में महिलाएं मजबूत भूमिकाओं में थीं। यह अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा।"

किरदार चुनने का तरीका

"मैं कभी जल्दबाजी नहीं करती। सही प्रोजेक्ट का इंतजार करना मुझे आता है। अफसोस बस इतना है कि महिलाओं के लिए गहरे और दमदार किरदार अब भी कम लिखे जाते हैं। कहानी का आकर्षण जरूरी है, लेकिन मैं मेकर्स की ईमानदारी भी देखती हूं। आखिरकार विजन ही सब कुछ तय करता है।"