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राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र 1 सितंबर से, कांग्रेस ने दिखाए तेवर
राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र 1 सितंबर से शुरू हो रहा है। सत्र से पहले कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार कर स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि इस बार सदन का माहौल गरम रहने वाला है। कांग्रेस ने सत्र को लेकर अपनी रणनीति तैयार कर ली है और सरकार को घेरने की योजना बनाई है। माना जा रहा है कि सदन में सत्ता और विपक्ष के बीच तीखे टकराव देखने को मिलेंगे।
पिछले बजट सत्र में भी कांग्रेस ने सरकार पर लगातार हमले किए थे, जिससे कई बार कांग्रेस विधायकों और विधानसभा अध्यक्ष के बीच तनाव की स्थिति बन गई थी।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के आरोप
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष चाहते हैं कि सत्र लंबा चले, लेकिन सरकार जल्दबाजी में इसे कुछ ही दिनों में समाप्त करना चाहती है। जूली ने कहा कि विपक्ष सदन में सरकार की जवाबदेही तय करेगा क्योंकि यह सरकार अपने पौने दो साल के कार्यकाल में ही “असफल और अलोकप्रिय” साबित हो चुकी है।
जूली ने भाजपा सरकार के "अलोकतांत्रिक रवैये" पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के निर्वाचित प्रधानों, प्रमुखों और चेयरमैनों को चुन-चुनकर हटाया जा रहा है। यहां तक कि मुख्यमंत्री के गृह जिले में सभी निर्वाचित प्रधानों को हटाकर भाजपा नेताओं को बैठाया गया है। यही कारण है कि सरकार पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनाव करवाने से बच रही है और अदालत से स्टे लेकर मामले को टाल रही है।
“मुख्यमंत्री सिर्फ भाजपा के नहीं”
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री केवल एक पार्टी के नहीं होते। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार के समय मई 2020 में मुख्यमंत्री ने सभी 200 विधायकों और 25 सांसदों को बैठक में बुलाकर उनकी राय सुनी थी। जूली के मुताबिक, मौजूदा सरकार विपक्ष की आवाज को नज़रअंदाज कर केवल भाजपा विधायकों, सांसदों और हारे हुए प्रत्याशियों तक ही सीमित है।