
महाराष्ट्र में गरमाया मराठा आरक्षण का मुद्दा, चंद्रकांत पाटिल बोले- “जरूरत पड़ी तो सीएम खुद मिलेंगे जरांगे से”
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है। मुंबई के आजाद मैदान में सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे का अनशन तीसरे दिन भी जारी है। इस बीच महाराष्ट्र सरकार के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने बड़ा बयान देते हुए संकेत दिया कि अगर हालात गंभीर हुए, तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद जरांगे से मिलने जा सकते हैं।
चंद्रकांत पाटिल का बयान
पाटिल ने कहा, “मुख्यमंत्री फडणवीस कभी अड़ियल नहीं रहे। आमतौर पर लोग सीएम से मिलने जाते हैं, लेकिन अगर इस मामले में समाधान की संभावना बनी, तो सीएम खुद भी जरांगे से मिलने जाएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि फडणवीस हमेशा संयमित भाषा का प्रयोग करते हैं, जबकि डिप्टी सीएम अजीत पवार स्पष्ट और बेबाक बोलने के लिए जाने जाते हैं।
पाटिल यह बयान उस आलोचना के जवाब में दे रहे थे जिसमें जरांगे ने फडणवीस द्वारा सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे को बातचीत के लिए भेजे जाने पर नाराज़गी जताई थी।
जरांगे की क्या है मांग?
मनोज जरांगे मराठा समुदाय के लिए 10% आरक्षण की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि मराठाओं को कुंभी जाति का दर्जा दिया जाए, क्योंकि कुंभी समुदाय पहले से ओबीसी श्रेणी में शामिल है।
जरांगे की मांग है कि:
मराठवाड़ा के मराठाओं को कुंभी घोषित कर आरक्षण दिया जाए।
हैदराबाद और सातारा गजट नोटिफिकेशन को कानून का रूप दिया जाए।
हालांकि, ओबीसी नेता इस मांग का विरोध कर रहे हैं।
पवार परिवार में जुबानी जंग
मामले पर शरद पवार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 52% तय की है, लेकिन तमिलनाडु में 72% आरक्षण को भी मंजूरी मिली है। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन जरूरी है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए डिप्टी सीएम अजीत पवार ने चुटकी लेते हुए कहा, “जो आज ये बातें बता रहे हैं, वे खुद लंबे समय तक सत्ता में रहे हैं। वे आदरणीय हैं, लेकिन मुझे ज्यादा बोलने पर मजबूर न करें।”