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अमेरिकी टैरिफ का भारत पर बड़ा असर: निर्यात उद्योगों पर संकट, हजारों करोड़ का कारोबार खतरे में

 

अमेरिका द्वारा भारत पर 50% तक टैरिफ लगाए जाने से भारतीय निर्यात उद्योग पर गहरा असर पड़ने लगा है। 27 अगस्त से लागू इस टैरिफ के कारण भारत के विभिन्न राज्यों में निर्यात-आधारित उद्योग संकट में हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबी अवधि में यह भारत-अमेरिका व्यापार को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

🔍 किन सेक्टर्स पर सबसे बड़ा असर

रत्न और आभूषण

भारत हर साल अमेरिका को 10 अरब डॉलर का रत्न-आभूषण निर्यात करता है।

गुजरात के सूरत, मुंबई और जयपुर के उद्योगों में लाखों लोगों की आजीविका पर खतरा।

टैरिफ 2.1% से बढ़कर 52.1% हो गया।

टेक्सटाइल और परिधान

भारतीय टेक्सटाइल निर्यात का 28% हिस्सा अमेरिका जाता है।

अब इस पर 63% तक टैरिफ लगेगा।

तमिलनाडु, नोएडा, लुधियाना और जयपुर के उद्योग प्रभावित।

कृषि और मरीन उत्पाद

5.6 अरब डॉलर का निर्यात खतरे में।

पाकिस्तान, वियतनाम और श्रीलंका को फायदा।

पंजाब से लेकर महाराष्ट्र तक कृषि उद्योगों पर असर।

लेदर और फुटवियर

1.18 अरब डॉलर का कारोबार प्रभावित।

कानपुर, आगरा और तमिलनाडु के क्लस्टर को नुकसान।

कालीन उद्योग

अमेरिका को 1.2 अरब डॉलर का कालीन निर्यात।

टैरिफ 2.9% से बढ़कर 53% हुआ।

भदोही, मिर्जापुर और श्रीनगर के उद्योग संकट में।

हथकरघा उद्योग

1.6 अरब डॉलर का हथकरघा निर्यात।

राजस्थान, मुरादाबाद और सहारनपुर में फैक्टरियों पर असर।

🌍 राज्यवार संकट

पंजाब: 20 हजार करोड़ से ज्यादा का टेक्सटाइल, मशीन टूल्स, ऑटो पार्ट्स और अन्य उत्पादों का निर्यात प्रभावित।

उत्तर प्रदेश: कालीन, चमड़ा और हथकरघा उद्योगों में मंदी का खतरा।

गुजरात: सूरत का हीरा उद्योग टैरिफ से सीधे प्रभावित।

तमिलनाडु: परिधान और फुटवियर उत्पादन में गिरावट।

📌 विशेषज्ञ राय: अगर भारत ने अमेरिका जैसा बड़ा बाजार खोजने की रणनीति नहीं अपनाई, तो लाखों नौकरियों पर संकट आ सकता है।